श्रीराम जन्मभूमि के
सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से सत्य प्रस्थापित हो गया है।
श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन के दौरान करोड़ों घरों में प्रचलित हुआ जो पत्थर तरासा गया है उनका उपयोग मंदिर निर्माण में होना चाहिए। उन्होंने कहा कि 1989 के बाद
विश्व हिन्दू परिषद श्रीराम जन्मभूमि के लिए धन संग्रह नहीं किया और इस समय भी श्री राम जन्मभूमि न्यास व विश्व हिन्दू परिषद धन संग्रह नहीं कर रहा है। काशी मथुरा के सवाल पर परांडे ने कहा कि विश्व हिन्दू परिषद 1984 में
श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन को हाथ में लिया था, अब श्री राम मंदिर निर्माण,गोरक्षा व
धर्मांतरण रोकना हमारा मुख्य ध्येय है।
विहिप के महामंत्री परांडे ने कहा कि
सबरीमाला स्थित भगवान अयप्पा के मंदिर में हर साल पांच करोड़ श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। दर्शन स्त्री-पुरुष आधार भेदभाव नहीं बल्कि यह यह मंदिर की पुरानी परम्परा है जिसका ख्याल रखा जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय पीठ के सबरीमला मंदिर में 10 से 50 वर्ष की उम्र की महिलाओं को प्रवेश और अन्य धर्म से जुड़े मामलों को वृहद पीठ को भेजने का स्वागत करते हुए उन्होंने कहा कि किसी न्यायालय को किसी धर्म के अंतरंग मामलों में हस्तक्षेप करने का अधिकार है या नहीं यह पीठ को ही सोचना है। उन्होंने केरल की वाम मोर्चा सरकार पर अयप्पा के प्रति श्रद्धा को तोडऩे का प्रयास करने का आरोप लगाया।