कर्मचारी संगठनों के मुताबिक जुलाई से श्रमिकों की वापसी बढ़ेगी। मजूदरों की वापसी से न सिर्फ कंपनियों को उत्पादन बढ़ाने में मदद मिलेगी बल्कि बेरोजगारी भी कम होगी। मजदूरों की वापसी को उनके घरेलू विवाद से भी जोड़ कर देखा जा रहा है। कई साल बाद घर लौटे बड़ी संख्या में मजदूरों को जमीन-जायदाद को लेकर झगड़े का सामना करना पड़ा।
जून से देश भर में सीमित संख्या में ट्रेनें चलाई जा रही हैं। सीट के बराबर ट्रेन में सफर की इजाजत मिल रही है। सोशल डिस्टेंसिंग के पालन की शर्त के साथ राÓयों में परिवहन निगम की बस सेवा भी शुरू हुई है। इससे मजदूरों का आवागमन सुगम हुआ है।
जून के पहले पखवाड़े के दौरान महाराष्ट्र में डेढ़ लाख श्रमिक लौटे हैं। मुंबई को छोड़ राज्य के अन्य हिस्सों में श्रमिकों की वापसी शुरू हो गई है। गुजरात में 25 हजार, कर्नाटक में लगभग 50 हजार और तमिलनाडु में &5 हजार मजदूर अन्य राज्यों से आए हैं। हरियाणा और पंजाब में भी श्रमिक काम पाने के लिए वापस आने लगे हैं।
अप्रेल-मई के दौरान देश के विभिन्न हिस्सों से मजदूरों ने अपने गृह प्रदेश पलायन किया। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि लॉकडाउन के दौरान 97 लाख श्रमिक गांव-घर पहुंचाए गए। जानकारों के अनुसार यह आंकड़ा बड़ा है। क्योंकि बड़ी संख्या में मजदूर साइकिल, रिक्शा, पैदल भी घर लौटे। उत्तर प्रदेश में 21.69 लाख और बिहार में 10 लाख श्रमिकों की वापसी की पुष्टि हुई है। महाराष्ट्र से 12 लाख तो गुजरात से 20.50 लाख श्रमिक घर गए।