हमेशा याद रहा उड़ान दूरदर्शन पर धारावाहिक उड़ान 1989 से 1991 के बीच आया। धारावाहिक महिला सशक्तीकरण पर केंद्रित था। कंचन का किरदार उनकी छोटी बहन कविता चौधरी ने निभाया था और वही सीरियल की निर्देशक और लेखक भी थीं। इसमें मशहूर अभिनेता और निर्देशक शेखर कपूर ने अहम भूमिका निभाई थी । इसमें दिखाया था कि कल्याणी सिंह हर स्तर पर लैंगिक भेदभाव से जूझते हुए आइपीएस अधिकारी बन जाती है। यह धारावाहिक ऐसे समय में आया जब महिलाओं को वर्दी में देखना असामान्य था । इसके बाद कई महिलाओं को सपनों को पूरा करने के लिए प्रेरणा मिलीं ।
उत्तर प्रदेश में जन्मी, मुंबई में ली अंतिम सांस वर्ष 1947 में उत्तर प्रदेश के देहरादून स्थित कृषाली गांव में जन्मी कंचन चौधरी ने भायखला स्थित सात रास्ता में अपने निवास पर अंतिम सांस ली। देश की आधी आबादी को सशक्त बनाने और महिलाओं की प्रेरणा के रूप में कंचन चौधरी भट्टाचार्य को याद किया जाएगा। स्कूली दिनों में लोगों को न्याय दिलाना और अन्याय के खिलाफ लड़ना उनके स्वाभाव में आ गया था। शारीरिक रूप से मजबूत, लम्बी चौड़ी होने के नाते लोग उन्हें पुलिस विभाग में जाने के लिए उत्साहित करते थे । उनकी इच्छा शिक्षा के क्षेत्र में जाने की थी। हालांकि उन्होंने आइपीएस परीक्षा दी और अच्छे अंक मिले। यही से ठान लिया कि मौका मिला है तो महिलाओं के लिए कुछ क्यों न किया जाए! सीबीआइ, आर्थिक अपराध विभाग, सीआइएसएफ में विभिन्न पदों पर रहीं लेकिन 2004 में उत्तराखंड की डीजीपी के रूप में उनकी नियुक्ति
हुई। कई वरिष्ठ अधिकारियों को पीछे छोड़ नयी उड़ान भर रही कंचन ने महिलाओं को आगे लाने की कोशिश की । आम महिला की तरह कंचन भी कोमल और मर्मस्पर्शी रहीं । परिवार, बच्चों और सम्बन्धियों के साथ उनके सम्बन्ध हमेशा कायम रहे। बच्चों ने कभी मां की कमी नहीं महसूस की। यह उनकी बेटी कनिका चौधरी ने पत्रिका को बताया। वर्ली स्थित शमशान बुधवार को उन्हें अंतिम विदाई दी जाएगी ।
हुई। कई वरिष्ठ अधिकारियों को पीछे छोड़ नयी उड़ान भर रही कंचन ने महिलाओं को आगे लाने की कोशिश की । आम महिला की तरह कंचन भी कोमल और मर्मस्पर्शी रहीं । परिवार, बच्चों और सम्बन्धियों के साथ उनके सम्बन्ध हमेशा कायम रहे। बच्चों ने कभी मां की कमी नहीं महसूस की। यह उनकी बेटी कनिका चौधरी ने पत्रिका को बताया। वर्ली स्थित शमशान बुधवार को उन्हें अंतिम विदाई दी जाएगी ।
इन कामों के लिए किए जाएगा याद महिलाओं के खिलाफ हो रहे अपराध को रोकने के लिए उन्होंने उस समय महिला हेल्पलाइन की शुरुआत की । महिलाओं के तमाम विषयों के लिए महिला अधिकारियों को ही नियुक्त किया। पुरुषों की तुलना में महिला कम नहीं, कमजोर नहीं, यह साबित करने के लिए उन्होंने पहली बार उत्तराखंड की तपती धूप में ट्रैफिक संभालने के
लिए महिला पुलिसकर्मियों को तैनात कर दिया। उनके काम को देखकर उत्तराखंड सरकार ने होनहार बेटी की उपाधि से सम्मानित भी किया ।
लिए महिला पुलिसकर्मियों को तैनात कर दिया। उनके काम को देखकर उत्तराखंड सरकार ने होनहार बेटी की उपाधि से सम्मानित भी किया ।
चुनौती पूर्ण रहा कंचन का जीवन कंचन चौधरी ने अमृतसर के राजकीय महिला महाविद्यालय से पढ़ाई पूरी की। वहीं, पोस्ट-स्नातक स्तर की पढ़ाई अंग्रेजी साहित्य में दिल्ली-यूनिवर्सिटी से की। उन्हें मेक्सिको में 2004 में आयोजित इंटरपोल की बैठक में भारत की और से प्रतिनिधित्व करने के लिए चयनित किया गया था। 1997 में प्रतिष्ठित सेवाओं के लिए उन्हें राष्ट्रपति पदक भी मिल चुका है।