निसर्ग चक्रवात में मुंबई शहर की ऊंची इमारतें झुग्गी- झोपडिय़ों के लिए ढाल बन गई थीं। इन इमारतों ने हवा के वेग को शहर के भीतरी इलाकों में कम कर दिया था, जिससे लाखों झोपडिय़ों की छत बच गई। इस बीच स्काईमेट ने बताया है की मुंबई से चक्रवात का खतरा टल गया है।
मौसम विभाग ने निसर्ग चक्रवात में 120 किमी की रफ्तार से हवा चलने की चेतावनी दी थी। अगर हवा का यही वेग बना रहता तो मुंबई के किसी भी झोपड़े की छत बरकार नहीं रहती। लेकिन, बुधवार दोपहर जब यह तुफान मुंबई प्रवेश किया तब वायुवेग 60 से 70 किमी प्रति घंटे हो गई थी। जानकारों के अनुसार इसके पीछे शहर की ऊंची इमारतों को बताया है। जिस समय चक्रवात तटवर्ती इलाकों मे तुफान मचा रहा था, उस समय शहर के भीतरी इलाक़ों में हवा का मामूली झोंका चल रहा था।
जमीनी स्तर पर जहां हवा की स्पीड कम देखी गई वहीं बहुमंजिला इमारतों के शीशे लगातार झनझनाते रहे। कांदिवली लोखंडवाला की ऊंची इमारत मे रहने वाले प्रकाश अवस्थी ने बताया कि हवा इतनी तेज थी कि खिड़कियों और दरवाजे को बंद रखना पड़ा। खिड़की के हल्के सुराग से भी तेज हवा को घर के भीतर महसूस किया जा रहा था। जबकि वहीं ग्राउंड पर इसका वेग नही के बराबर रहा।
मुंबई के स्लम इलाकों की छतें सीमेंट सीट या लोहे की चादर से बनी होती है जो थोड़ी सी भी तेज हवा के साथ उडऩे लगती है। ऐसे इलाके जुहू, सांताक्रूज, मढ, मार्वे, गोराई आदि में बड़ी संख्या में है। गोराई नंबर 2 की म्हडा कालोनी समुद्र की खाड़ी से सटी हुई है, जहां तेज हवा का खतरा हमेशा बना रहता है। स्लम इलाकों के बुनियादी सेवाओं के लिये काम करने वाले ओमप्रकाश पांडे ने बताया कि मुंबई के ज्यादातर स्लम इलाके लॉकडाउन की वजह से खाली हो गये हैं। अगर इन इलाकों मे तुफान अपना प्रभाव दिखाता तो ज्यादा नुकसान होने की संभावना थी।