श्रीमद् राजचंद्र मिशन धरमपुर के संस्थापक गुरुदेव राकेशभाई ने इस पर्व का मर्म समझाते हुए कहा कि परी अर्थात सर्व दिशा और उष्ण अर्थात निकट आना है। आमंत्रण सर्व दिशाओं से आत्म के निकट आने का, चाहे वह शास्त्र अध्ययन हो या भक्ति, तप हो या जप इन सब अनुष्ठानों का एक ही लक्ष्य मात्र है आंतरिक शुद्धि।
यह होंगे विभिन्न कार्यक्रम
आठ दिवसीय पर्युषण महापर्व में प्रतिदिन सुबह का शुभारंभ 7.30 बजे पवित्र स्नात्र पूजा के माध्यम से होगा, जहां भगवान के जन्मोत्सव को नृत्य,पूजा व भक्ति के माध्यम से पूर्ण निष्ठा के साथ मनाया जाएगा। इसके बाद 8.30 से 10 बजे के बीच गुरुदेव राकेशभाई का प्रवचन होगा। शाम को 8.30 से 10 के बीच गुरुदेव के प्रभावपूर्ण प्रवचनों की श्रृंखला का आयोजन किया गया है। 30 अगस्त को महावीर जयंती के अवसर पर सायं 7.30 से रात 10 बजे के बीच भगवान महावीर प्रकाशित जैन धर्म के स्तंभ और उनकी प्रासंगिकता पर आधारित एक संगीत नाटक कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। दो सितंबर को दोपहर 12.30 से 2.30 के बीच सत्संग की महिमा पर प्रवचन का आयोजन किया जाएगा। जिसके बाद 3 से 6 के बीच संवत्सरिक आलोचना का आरंभ होगा। संवत्सरिक आलोचना आत्मनिरीक्षण, संस्वीकृति और क्षमा के माध्यम से अंतर शुद्धि पाने का एक अपूर्व अवसर है। आत्म अनुभवी सदगुरुदेव के सानिध्य में भक्ति, साधना और शुद्धि का त्रिवेणी संगम अर्थात पर्युषण महापर्व एक ऐसा पर्व जो स्व के निकट आने का एक अभूतपूर्व अवसर देता है।