एआरटी में रखी जाएगी बोट
वेस्टर्न रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी रवींद्र भाकर ने बताया कि जब बड़ोदरा में भारी बारिश हुई, तब राहत कार्यों में इन्फ्लेटेबल बोट का उपयोग किया गया था। उन्होंने बताया कि हम वेस्टर्न रेलवे के प्रत्येक क्षेत्र में ऐसी एक नाव रखने की योजना बना रहे हैं। इन नावों को एक्सीडेंट रिलीफ ट्रेन (एआरटी) में रखा जा सकता है और जब भी बाढ़ जैसी स्थिति पटरियों या रेलवे कॉलोनियों में पैदा हो, तो इसका इस्तेमाल किया जाएगा।
वेस्टर्न रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी रवींद्र भाकर ने बताया कि जब बड़ोदरा में भारी बारिश हुई, तब राहत कार्यों में इन्फ्लेटेबल बोट का उपयोग किया गया था। उन्होंने बताया कि हम वेस्टर्न रेलवे के प्रत्येक क्षेत्र में ऐसी एक नाव रखने की योजना बना रहे हैं। इन नावों को एक्सीडेंट रिलीफ ट्रेन (एआरटी) में रखा जा सकता है और जब भी बाढ़ जैसी स्थिति पटरियों या रेलवे कॉलोनियों में पैदा हो, तो इसका इस्तेमाल किया जाएगा।
एक नाव में ले जाए जा सकेंगे पांच लोग
एक नाव में पांच यात्रियों को ले जाने की क्षमता है। सेंट्रल रेलवे के एक अधिकारी ने कहा कि 28 जुलाई की महालक्ष्मी एक्सप्रेस की घटना से बदलापुर में हमारे यात्री लगभग पांच घंटे तक फंसें रहे। हम रास्ता न होने के चलते हम चाह कर भी लोगों की मदद नहीं कर पा रहे थे। इसके बाद हमने एनडीआरएफ के अलावा नौसेना को भी लोगों को सुरक्षित निकालने के अभियान में शामिल किया और हमने एक हजार 50 यात्रियों को सुरक्षित निकाल लिया।
एक नाव में पांच यात्रियों को ले जाने की क्षमता है। सेंट्रल रेलवे के एक अधिकारी ने कहा कि 28 जुलाई की महालक्ष्मी एक्सप्रेस की घटना से बदलापुर में हमारे यात्री लगभग पांच घंटे तक फंसें रहे। हम रास्ता न होने के चलते हम चाह कर भी लोगों की मदद नहीं कर पा रहे थे। इसके बाद हमने एनडीआरएफ के अलावा नौसेना को भी लोगों को सुरक्षित निकालने के अभियान में शामिल किया और हमने एक हजार 50 यात्रियों को सुरक्षित निकाल लिया।
एक डिवीजन में होगी एक नाव
भाकर ने बताया कि हर डिवीजन में कमसे कम एक नाव होगी। यदि एक डिवीजन में बाढ़ आ गई है, तो उन डिवीजनों से जहां बाढ का पानी न पहुंचा हो, नावों को बुलाया जा सकता है। इन नावों की मदद से लोगों तक तत्काल में राहत पहुंचाई जा सकेगी। रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) के पास ऐसे गोताखोर हैं जो फंसे हुए लोगों को बचाने के लिए पर्याप्त हैं।
भाकर ने बताया कि हर डिवीजन में कमसे कम एक नाव होगी। यदि एक डिवीजन में बाढ़ आ गई है, तो उन डिवीजनों से जहां बाढ का पानी न पहुंचा हो, नावों को बुलाया जा सकता है। इन नावों की मदद से लोगों तक तत्काल में राहत पहुंचाई जा सकेगी। रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) के पास ऐसे गोताखोर हैं जो फंसे हुए लोगों को बचाने के लिए पर्याप्त हैं।
डेढ़ से दो लाख की हैं नावें
सेंट्रल रेलवे के एक अधिकारी ने बताया कि एक नाव की कीमत लगभग 1.5 लाख रुपए से 2.5 लाख रुपए है। हम इस दिशा में कार्य कर रहे हैं कि कितनी नावें खरीदी जानी चाहिए और हमारी जरूरतों के हिसाब से किस तरह की नाव हमें चाहिए। भाकर ने कहा कि हम मोटर चालित नौकाओं को खरीदने पर भी विचार कर सकते हैं, जिनकी मदद से तेजी से लोगों तक पहुंचा जा सकता है।
सेंट्रल रेलवे के एक अधिकारी ने बताया कि एक नाव की कीमत लगभग 1.5 लाख रुपए से 2.5 लाख रुपए है। हम इस दिशा में कार्य कर रहे हैं कि कितनी नावें खरीदी जानी चाहिए और हमारी जरूरतों के हिसाब से किस तरह की नाव हमें चाहिए। भाकर ने कहा कि हम मोटर चालित नौकाओं को खरीदने पर भी विचार कर सकते हैं, जिनकी मदद से तेजी से लोगों तक पहुंचा जा सकता है।