यह भी पढ़े:-
स्वरोजगार से महिलाएं बन सकती हैं स्वावलंबी कंचन शर्मा ने कहा कि शादी समारोह में समाज के अंदर जो दिखावा होता है वह बन्द होना चाहिए। पुष्पा मिस्त्री ने कहा कि कोर्ट में शादी करनी चाहिए ताकि
दहेज रूपी दानव का अंत हो जाए। उसी तरह भावना पेडणेकर ने कहा कि दहेज लेना मतलब बेटे को बेचने जैसा है। संस्था की कोषाध्यक्ष लक्ष्मी मिश्रा ने कहा कि यह प्रथा बन्द होनी चाहिए और मैं समझती हूं कि एक अभियान चलाकर समाज को जन जागृति करने की आवश्यकता है। प्रियंका सिंह ने कहा कि बच्चों को
स्वावलंबी बनाना चाहिए ताकि दहेज की नौबत ही न आए। ज्योति नामक महिला ने कहा कि हमें अपने बच्चों को सिखाना चाहिए
दहेज एक अभिशाप है, देना और लेना दोनों अपराध है।
यह भी पढ़े:-
सिंगरौली में दहेज का दानव यह भी पढ़े:-
दहेज में एक रुपया लेकर CRPF जवान दूल्हे ने कही ऐसी बात, सुनकर दुल्हन के पिता ने जोड़ लिए हाथ गीता सिंह ने कहा कि दहेज रूपी दानव ने समाज को गंदा करके रखा है। आजकल बेटों को बेचा जा रहा है। ग्रामीण भागों में तो बकायदे सौदा होता है, इस पर विराम लगना चाहिए।
दहेज प्रथा के उपर संस्था की तमाम महिलाओं ने अपने-अपने विचार व्यक्त किए। खुले चर्चा सत्र में सुनीता झा, किरन सोनार, लक्ष्मी मिश्रा, सुनीता वर्मा, रमा शेखावत, शांती शर्मा, भावना पेडणेकर, आशा सिंह, साधना ठाकुर, ज्योति चोथे, पुष्पा मिस्त्री, प्रियंका सिंह, विनोद कंवर शेखावत, मालती पाल, रूपम झा, सुनीता मिस्त्री, सुमन बाबरा, कंचन शर्मा, कोमल गुरबानी, गीता सिंह, सुषमा ढांकने और सुषमा चतुर्वेदी सहित भारी संख्या में महिलाएं मौजूद थी। पत्रिका के इस सराहनीय कार्य और सहयोग के लिए संस्था की ओर अभिनंदन किया गया और तुलसी का पौधा देकर क्षेत्रीय प्रतिनिधि का सम्मान किया गया।