विदित हो कि 2014 के रिकॉर्ड को नष्ट कर दिया है, जब छात्र ने बताया कि यूनिवर्सिटी के कर्मचारियों की ओर से गलत सुधार करने के कारण उसे अंक प्राप्त करने में देरी हुई। वहीं अधिकारी ने बताया कि पुराने रिकॉर्ड वे नहीं रखते हैं, छात्र की ओर से वेबसाइट से निकली गई कॉपी बनावटी है, जिसके बाद से विवाद सामने आया। बहरहाल, इस मामले को छात्र संघ के समक्ष लाया गया, जिसके बाद यूनिवर्सिटी के एक अधिकारी का यह कहना हास्यास्पद रहा कि डिजिटलीकरण के वर्तमान युग में छात्रों के अंक नष्ट हो जाते हैं। इस पर छात्र विधि परिषद के अध्यक्ष सचिन पवार ने आरोप लगाया है कि विश्वविद्यालय केवल पांच वर्षों में नष्ट हो गया, जबकि छात्रों के अंकों के बारे में जानकारी को संरक्षित करना आवश्यक था। इस संबंध में मुंबई यूनिवर्सिटी के जनसंपर्क अधिकारी आशुतोष राठोड से संपर्क करने का प्रयास किया गया।
मुंबई विश्वविद्यालय के कुलपति सुहास पेडणेकर ऑनलाइन सभी प्रक्रियाओं को लागू करके छात्रों की समस्या को कम करने का प्रयास कर रहे हैं। लेकिन यूनिवर्सिटी के कर्मचारी उनके प्रयासों पर पानी फेरने का काम कर रहे हैं। इस तरह का कार्य बेहद गंभीर है।
– सचिन पवार, अध्यक्ष, छात्र विधि परिषद