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ओमाईगॉड: पुनर्मूल्यांकन में फर्जीवाड़ा, मुंबई यूनिवर्सिर्टी में क्या हुआ?

locationमुंबईPublished: Sep 19, 2019 11:24:53 pm

Submitted by:

Rohit Tiwari

ओमाईगॉड ( Oh my God ) पुनर्मूल्यांकन में फर्जीवाड़ा ( Fake ), मुंबई यूनिवर्सिर्टी ( Mumbai University ) में पुनर्मूल्यांकन परिणाम ( Revaluation result ) की प्रतिलिपि निकली फर्जी, अधिकारी ने भी दिया चौंकाने वाला जवाब, परीक्षा नियंत्रक विभाग ( Exam controller department ) में पड़ताल से उजागर हुई जानकारी, छात्र को बारंबार लगाने पड़े चक्कर

ओमाईगॉड: पुनर्मूल्यांकन में फर्जीवाड़ा, मुंबई यूनिवर्सिर्टी में क्या हुआ?

ओमाईगॉड: पुनर्मूल्यांकन में फर्जीवाड़ा, मुंबई यूनिवर्सिर्टी में क्या हुआ?

मुंबई. वेबसाइट से एलएलएम पुनर्मूल्यांकन परिणाम की प्रतिलिपि 2014 में मुंबई यूनिवर्सिटी के एक अधिकारी जाली बना दी थी। साथ ही 2014 के पुराने दस्तावेज को आहेज कर भी नहीं रखा। वहीं अधिकारी ने चौंकाने वाला जवाब देते हुए बताया कि वह नष्ट भी हो गया था। यूनिवर्सिटी के इस गैर जिम्मेदाराना व्यवहार के चलते पुनर्मूल्यांकन स्कोर प्राप्त करने के लिए संघर्ष कर रहे छात्रों का भविष्य अधर में अटक गया है। 2014 में मुंबई यूनिवर्सिटी से एलएलएम परीक्षा में कम स्कोर प्राप्त करने वाले और असफल होने वाले छात्रों ने पुनर्मूल्यांकन के लिए यूनिवर्सिटी में आवेदन किया था। इनमें से एक छात्र को पुनर्मूल्यांकन के लिए बारंबार यूनिवर्सिटी के चक्कर लगाने पड़ रहे थे। इसके अलावा जब उसने परीक्षा नियंत्रक विभाग में पड़ताल की तो उन्हें पता चला कि गलत तरीके से पुनर्मूल्यांकन किया गया। जब इस संबंध में एक वरिष्ठ अधिकारी से संपर्क किया गया तो उन्होंने यूनिवर्सिटी को गलती मानने के बजाय छात्र को ही पकड़ लिया और पूछा कि क्या वह इतने लंबे समय से सोया था?
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IMAGE CREDIT: Rohit K Tiwari
संरक्षित रखना चाहिए था रिकॉर्ड…
विदित हो कि 2014 के रिकॉर्ड को नष्ट कर दिया है, जब छात्र ने बताया कि यूनिवर्सिटी के कर्मचारियों की ओर से गलत सुधार करने के कारण उसे अंक प्राप्त करने में देरी हुई। वहीं अधिकारी ने बताया कि पुराने रिकॉर्ड वे नहीं रखते हैं, छात्र की ओर से वेबसाइट से निकली गई कॉपी बनावटी है, जिसके बाद से विवाद सामने आया। बहरहाल, इस मामले को छात्र संघ के समक्ष लाया गया, जिसके बाद यूनिवर्सिटी के एक अधिकारी का यह कहना हास्यास्पद रहा कि डिजिटलीकरण के वर्तमान युग में छात्रों के अंक नष्ट हो जाते हैं। इस पर छात्र विधि परिषद के अध्यक्ष सचिन पवार ने आरोप लगाया है कि विश्वविद्यालय केवल पांच वर्षों में नष्ट हो गया, जबकि छात्रों के अंकों के बारे में जानकारी को संरक्षित करना आवश्यक था। इस संबंध में मुंबई यूनिवर्सिटी के जनसंपर्क अधिकारी आशुतोष राठोड से संपर्क करने का प्रयास किया गया।
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कर्मचारी फेर रहे पानी…
मुंबई विश्वविद्यालय के कुलपति सुहास पेडणेकर ऑनलाइन सभी प्रक्रियाओं को लागू करके छात्रों की समस्या को कम करने का प्रयास कर रहे हैं। लेकिन यूनिवर्सिटी के कर्मचारी उनके प्रयासों पर पानी फेरने का काम कर रहे हैं। इस तरह का कार्य बेहद गंभीर है।
– सचिन पवार, अध्यक्ष, छात्र विधि परिषद
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