भोपाल में 15 को था कार्यक्रम
उनके सचिव दिनेश ने बताया कि किडनी की समस्या के बावजूद वे अपना काम खुद करते थे। इसी हफ्ते 15 मई को भोपाल Bhopal में उनका कार्यक्रम होना था। इसके लिए वे काफी उत्साहित थे। रोजाना रियाज करते थे। उनका जन्म 1938 में जम्मू में हुआ था। बचपन में संतूर के साथ तबला भी सीखा था। महज 15 साल की उम्र में जम्मू रेडियो में वे ब्रॉडकास्टर के तौर पर जुड़े थे। उमा दत्त शर्मा चाहते थे कि बेटा सरकारी नौकरी करे। लेकिन, अपना संतूर और जेब में सिर्फ 500 लेकर मुंबई आ गए। मुश्किलें से हार नहीं मानी। संतूर को पहचान दिलाने का जुनून नहीं छोड़ा। 1955 में फिल्म झनक-झनक पायल बाजे के एक सीन के लिए संतूर का इस्तेमाल करते हुए बैकग्राउंड म्यूजिक दिया, जिसके लिए खूब सराहना मिली।
जितना बड़ा रिस्क, उतनी बड़ी कामयाबी
संगीत की दुनिया में स्ट्रगल पर Music composer पंडित शिवकुमार ने कहा था कि जितना बड़ा रिस्क लेंगे, कामयाबी उतनी ही बड़ी मिलती है। अपनी कामयाबी का श्रेय वे पिता व गुरु के साथ पत्नी मनोरमा को भी देते थे। उन्हें 1986 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, 1991 में पद्मश्री तथा 2001 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया।
संतूर वादन के पुरोधा
सरोद वादक अमजद अली खान santoor player ने कहा कि पंडित शिव कुमार शर्मा के निधन से एक युग का अंत हो गया। वह संतूर वादन के पुरोधा थे। उनका योगदान अतुलनीय है। मेरे लिए यह व्यक्तिगत क्षति है। र्ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे। उनका संगीत हमेशा जीवित रहेगा। ओम शांति। गजल गायक पंकज उधास, संगीतकार सलीम मर्चेंट और अभिनेत्री शबाना आजमी ने भी शर्मा के निधन पर शोक व्यक्त किया।