scriptदिल का दौरा पड़ने से संगीतकार पं. शिवकुमार शर्मा का निधन | Music composer Pt. Shivkumar Sharma dies of heart attack | Patrika News

दिल का दौरा पड़ने से संगीतकार पं. शिवकुमार शर्मा का निधन

locationमुंबईPublished: May 10, 2022 07:10:27 pm

राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार आजशिव-हरी की जोड़ी ने सिलसिला, लम्हे, चांदनी Moonlight जैसी फिल्मों को दिया संगीतसंतूर के जादूगर ने दुनिया भर में बटोरी वाहवाही

दिल का दौरा पड़ने से संगीतकार पं. शिवकुमार शर्मा का निधन

दिल का दौरा पड़ने से संगीतकार पं. शिवकुमार शर्मा का निधन

मुंबई. प्रख्यात संंतूर वादक व संगीतकार पंडित शिवकुमार शर्मा Shivkumar Sharma का मंगलवार सुबह मुंबई Mumbai में निधन हो गया। जम्मू व कश्मीर J&K के लोक वाद्य संतूर को दुनिया भर में पहचान दिलाने वाले पद्मविभूषण पंडित शर्मा 84 साल के थे। पारिवारिक सूत्रों के मुताबिक दिल का दौरा पडऩे heart attack से उनका निधन हुआ। पाली हिल स्थित आवास पर उन्होंने अंतिम सांस ली। पिछले छह महीने से वे किडनी की समस्या से परेशान थे। रोजाना उनकी डायलिसिस होती थी। उनके परिवार में पत्नी मनोरमा के अलावा दो बेटे-राहुल व रोहित हैं। राहुल भी संतूर बजाते हैं। अंतिम दर्शन के लिए उनका पार्थिव शरीर बुधवार सुबह 10 से दोपहर एक बजे के बीच उनके बेटे राहुल के जुहू स्थित घर पर रखा जाएगा। इसके बाद पवन हंस श्मशान भूमि में राजकीय सम्मान state honor के साथ उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। पंडित शर्मा संतूर के जादूगर थे। दुनिया भर में उनके मुरीद हैं। बांसुरी वादक पंडित हरी प्रसात चौरसिया के साथ उन्होंने जोड़ी बनाई थी। सिलसिला, लम्हे जैसी कई फिल्मों में शिव-हरी की जोड़ी ने संगीत दिया है। फिल्म चांदनी का गाना मेरे हाथो में नौ-नौ चूडिय़ां इसी जोड़ी ने कंपोज किया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी, मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, प. बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी सहित कई राजनीतिक हस्तियों और सेलिब्रिटी ने उनके निधन पर शोक जताया है। पीएम मोदी ने कहा कि पं. शिवकुमार शर्मा जी के निधन से हमारे सांस्कृतिक जगत की भारी क्षति हुई है। उन्होंने वैश्विक स्तर पर संतूर को लोकप्रिय बनाया। उनका संगीत आने वाली पीढिय़ों को प्रोत्साहित करता रहेगा। उनके साथ हुई बातचीत मुझे याद है। उनके परिजनों और प्रशंसकों के प्रति मेरी संवेदनाएं। ओम शांति।

भोपाल में 15 को था कार्यक्रम
उनके सचिव दिनेश ने बताया कि किडनी की समस्या के बावजूद वे अपना काम खुद करते थे। इसी हफ्ते 15 मई को भोपाल Bhopal में उनका कार्यक्रम होना था। इसके लिए वे काफी उत्साहित थे। रोजाना रियाज करते थे। उनका जन्म 1938 में जम्मू में हुआ था। बचपन में संतूर के साथ तबला भी सीखा था। महज 15 साल की उम्र में जम्मू रेडियो में वे ब्रॉडकास्टर के तौर पर जुड़े थे। उमा दत्त शर्मा चाहते थे कि बेटा सरकारी नौकरी करे। लेकिन, अपना संतूर और जेब में सिर्फ 500 लेकर मुंबई आ गए। मुश्किलें से हार नहीं मानी। संतूर को पहचान दिलाने का जुनून नहीं छोड़ा। 1955 में फिल्म झनक-झनक पायल बाजे के एक सीन के लिए संतूर का इस्तेमाल करते हुए बैकग्राउंड म्यूजिक दिया, जिसके लिए खूब सराहना मिली।

जितना बड़ा रिस्क, उतनी बड़ी कामयाबी
संगीत की दुनिया में स्ट्रगल पर Music composer पंडित शिवकुमार ने कहा था कि जितना बड़ा रिस्क लेंगे, कामयाबी उतनी ही बड़ी मिलती है। अपनी कामयाबी का श्रेय वे पिता व गुरु के साथ पत्नी मनोरमा को भी देते थे। उन्हें 1986 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, 1991 में पद्मश्री तथा 2001 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया।

संतूर वादन के पुरोधा
सरोद वादक अमजद अली खान santoor player ने कहा कि पंडित शिव कुमार शर्मा के निधन से एक युग का अंत हो गया। वह संतूर वादन के पुरोधा थे। उनका योगदान अतुलनीय है। मेरे लिए यह व्यक्तिगत क्षति है। र्ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे। उनका संगीत हमेशा जीवित रहेगा। ओम शांति। गजल गायक पंकज उधास, संगीतकार सलीम मर्चेंट और अभिनेत्री शबाना आजमी ने भी शर्मा के निधन पर शोक व्यक्त किया।

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