हालांकि अफसोस की बात है कि वेदांत केवल 15 वर्ष का था, इस बात का पता जब अमेरिकी फर्म को लगा तो उसने उम्र का हवाला देते हुए प्रस्ताव वापस ले लिया। हालांकि कंपनी ने किशोर को भविष्य में फिर मौका देने का आश्वासन दिया है।
जानकारी के मुताबिक, अपनी मां के पुराने लैपटॉप पर अपने इंस्टाग्राम अकाउंट को स्क्रॉल करते हुए वेदांत को एक वेबसाइट डेवलपमेंट कॉम्पिटिशन जानकारी मिली, जिसमें एक लिंक भी दिया गया था। रिपोर्ट के अनुसार, वेदांत ने प्रतियोगिता में हिस्सा लेने का फैसला किया और लगभग दो दिनों में कोड की 2000 से अधिक लाइनें लिखकर अपनी प्रतिभा से जीत का परचम फहरा दिया। उनके इस काम को देखकर अमेरिकी फर्म प्रभावित हो गई।
इस प्रतियोगिता ने वेदांत को सपनों की नौकरी दिला दी। वेदांत को अमेरिका के न्यू जर्सी स्थित एक विज्ञापन फर्म ने 33 लाख रुपये प्रति वर्ष की नौकरी दी। फर्म चाहती थी कि वेदांत उनकी एचआरडी टीम में शामिल हो और कोडर्स को काम सौंपे और उन्हें मैनेज करे। हालाँकि, फर्म को बाद में पता चला कि वेदांत सिर्फ 15 साल का है, इसलिए उसने ऑफर वापस ले लिया। कंपनी ने वेदांत को निराश न होने के लिए कहा और उनकी शिक्षा पूरी होने के बाद कंपनी से संपर्क करने को कहा है। फर्म ने वेदांत को लिखा, “हम आपके अनुभव, व्यावसायिकता और दृष्टिकोण से प्रभावित हैं।”
वेदांत के पिता राजेश और मां अश्विनी नागपुर के इंजीनियरिंग कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं। वे अमूमन लैपटॉप को लॉकर में और मोबाइल फोन को कार में रखते थे, क्योंकि उन्हें डर था कि कहीं बेटे की पढ़ाई इससे प्रभावित न हो। लेकिन अब वें भी वेदांत के कोडिंग कौशल को जानकर गदगद महसूस कर रहे है।