मुंबईPublished: May 05, 2019 05:53:43 pm
Devkumar Singodiya
गीत नैतिक पाठशालाएं हैं जो जीवन की शिक्षा देते हैं
निमाड़ी लश्कर की बोली है, मिठास से भरी है
मुंबई. संस्मरण विधा कठिन है पर डॉ. सुमन चौरे ने उसे सहज किया है। इसमें लेखक और वस्तु विषय आमने सामने होते हैं ये साहित्य नहीं होता लेकिन यदि उसमें लेखकीय सृजनशीलता, संवेदना, कल्पना, चिंतन, विश्लेषण धर्मिता हो तो वह साहित्य होता है । इस कसौटी पर डॉ. चौरे ने अपने संस्मरण आत्मीयता, प्रामाणिकता, ईमानदारी से लिखे हैं जो दिल को छू लेते हैं।
समीक्षकों के कारण इस विद्या की बहुत हानि हुई।Ó ये विचार साहित्यकार डॉ. रामजी तिवारी ने निमाड़ी लोकगीतकार, लेखिका डॉ. सुमन चौरे की संस्मरणात्मक पुस्तक ‘मोहिब्रज बिसरत नाहींÓ पर चर्चा गोष्ठी में अध्यक्षीय वक्तव्य में कही।
श्रृति संवाद साहित्य कला अकादमीÓ द्वारा बेलापुर में हुए कार्यक्रम में डॉ. सुमन चौरे ने कहा कि निमाड़ी लश्कर की बोली है जिसमें मराठी, गुजराती, राजस्थानी, मारवाड़ी शब्दों से मिलकर बनी मिठास वाली बोली है। निमाड़ी के लोकगीतों का सस्वर पाठ करते हुए बताया कि गीत नैतिक पाठशालाएं हैं जो जीवन की शिक्षा देते हैं।
महक विखेर रहा है
कथाकार डॉ. सूर्यबाला ने कहा कि कस्तूरी मृग की तरह निमाड़ी साहित्य है जो महक बिखेर रहा है। डॉ. चौरे के संस्मरण मनुष्यता को वापिस लाने की कवायद है जो रिश्तों को जोड़कर यादों की कुंज गली में बचपना याद दिलाती है। वरिष्ठ पत्रकार डॉ. मनोहर चौरे ने कहा कि डॉ. चौरे अपनी प्रतिभा से आगे बढ़ी है और अभी भी लेखन में सक्रिय हैं। साहित्यकार, लेखक डॉ. जवाहर कर्नावट ने कहा कि यह पुस्तक निमाड़ का दुर्लभ दस्तावेज है जिसमें गांव की सोंधी मिट्टी का सटीक चित्रण है।
चुटीला संचालन
अकादमी के अध्यक्ष अरविंद राही ने स्वागत वक्तव्य दिया एवं व्यंग्यकार डॉ. अनंत श्रीमाली ने चुटीला संचालन किया। सरस्वती वंदना हेमलता मानवी ने प्रस्तुत की। अभिनंदन पत्र का वाचन डॉ. मेघा ने किया। कार्यक्रम में डॉ. चौरे के परिजन सुनीता पुष्प जोशी, तृत्ति चौरे सहित महानगर के साहित्यकार, लेखक अवनीश दीक्षित, डॉ. राकेश, राजेश सिंह, सेवासदन प्रसाद, रामप्रकाश विश्वकर्मा, अश्वनी उम्मीद, रश्मि पटेल, मार्कडेय केवट, प्रफुल्ल मिश्र, वासंती वैद्य, विनोद वर्मा, डॉ. अजीत सोनसया, डॉ. रमननाथ श्रीवास्तव, आदि उपस्थित थे।