सीट फाडऩे के लिए ब्लेड का इस्तेमाल
प्रशासन से शिकायत
नाराज यात्रियों की ओर से सेंट्रल रेलवे के पास शिकायतें मिल रही हैं। लेकिन, प्रशासन अभी तक दुर्घटना के सही स्थान और ठिकाने की जांच नहीं कर पाया है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पिछले वर्ष लगभग 15 सौ सीटें फाड़ी गई थीं। बता दें कि अंबरनाथ, टिटवाला, कर्जत, खोपोली, कसारा, बेलापुर, वाशी, पनवेल, वांगानी, ठाकुरली में लोकल गाडिय़ां रात भर खड़ी रहती हैं।
प्रथम श्रेणी के डिब्बे की सीट को तैयार करने के लिए दो कर्मचारी काम करते हैं। एक सीट के कवर की कीमत 500 से 700 के बीच होती है। ऐसे में हर सीट में एक हजार से 15 सौ रुपए खर्च होते हैं। इसके अलावा हर ट्रेन का मेंटीनेंस का दिन तय होता है। पर, जब सीट फट जाती है तो उस डिब्बे की मरम्मत के लिए अलग से प्लानिंग करनी पड़ती है। इससे रेलवे को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है।