इसके बाद प्रकरण हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में गया तो जेठमलानी की दलीलें ही गेमचेंजर बनीं और दोनों बड़ी अदालतों में सरकार के पक्ष में फैसला गया। बचाव पक्ष की कोई जिरह उनके सामने नहीं चल पाईं। उन्होंने अदालत में कहा था कि अगर गोलियां हाथापाई के दौरान चली थीं ताे प्रेम भाटिया का तौलिया गालियां लगने के बाद भी कमर से लिपटा हुआ क्यों मिला था ? हाईकोर्ट ने नानावती को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। सजा को इस फैसले को सर्वोच्च अदालत में चुनौती दी गई तो वहां भी जेठमलानी की दलीलों पर वही सजा मुकर्रर रखी गई। आपको बता दें कि सरकारी वकील चन्द्रचूड़ 1978 में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश भी बने।
रुस्तम फिल्म से सबने जाना इस केस को केएम नानावती बनाम महाराष्ट्र सरकार के इस बड़े और विवादित प्रकरण पर तीन साल पहले 2016 में अभिनेता अक्षय कुमार की फिल्म रुस्मत भी बनी थी। यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर बड़ी हिट साबित हुई और जेठमलानी भी फिर से चर्चा में आए, क्योंकि उस दौरान इस केस की अच्छी खासी मीडिया ट्रायल भी चली थी। इसके चलते जनभावनाएं नानावती के पक्ष में थीं, लेकिन जेठमलानी के कानूनी दांव-पेचों ने पूरे केस का रुख बदल दिया था।
क्या था नानावती-आहूजा प्रकरण नौ सेना के कमाडंर कवास मानेकशॉ नानावती की पत्नी सिल्विया के प्रेम आहूजा से अवैध संबंध थे। इसकी जानकारी नानावती को हुई तो उन्होंने 27 अप्रेल 1957 को प्रेम आहूजा के घर जाकर उसे तीन गोलियां मार दीं। इसके बाद पुलिस स्टेशन जाकर खुद को कानून के हवाले कर दिया।
मुंबई से दो बार बने सांसद जेठमलानी छठी और सातवीं लोकसभा में भाजपा के टिकट पर मुंबई से दो बार चुनाव जीते। मुंबई के अंडरवर्ल्ड डॉन रहे हाजी मस्तान के खिलाफ लगे तस्करी के कई आरोपों का केस भी उन्होंने लड़ा। इसके अलावा सहारा-सेबी विवाद में सुब्रत राय का केस, सीपीआई विधायक कृष्णा देसाई मर्डर केस में शिवसेना की ओर से वकील रहे। उनकेपरिवार के कई सदस्य मुंबई में ही रहते हैं और जेठमलानी खुद भी अक्सर अपना समय यहां बिताया करते थे ।