मुंबई. पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्लू) ने रियल एस्टेट कंपनी एचडीआईएल और पंजाब एंड महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव (पीएमसी) बैंक के अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है। आर्थिक अपराध शाखा ने मामले की तफ्तीश के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया है। पुलिस ने कंपनी और बैंक के 14 अधिकारियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की विभिन्न धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया है। मिली जानकारी अनुसार भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के आदेश पर एचडीआईएल के खिलाफ मामला दर्ज किया है। आरबीआई के आदेश के बाद जसबीर सिंह म_ा के बयान पर यह मामला दर्ज किया गया है।
जसबीर सिंह ने पुलिस को बताया है कि बैंक के प्रबंध निदेशक जॉय थॉमस और अध्यक्ष वरियाम सिंह व बैंक के अन्य पदाधिकारियों और एचडीआईएल के संचालक वाधवा ने 2008 से 2009 के दौरान पीएमसी बैंक की भांडुप शाखा से कर्ज लिया, जिसका पुनर्भुतान एचडीआईएल नहीं कर रही थी। इसके बाद कंपनी के कर्ज को बैंक ने एनपीए घोषित कर दिया, जिसकी जानकारी किसी को नहीं दी गई। रिजर्व बैंक को भी इस मामले की जानकारी नहीं दी गई। हालांकि, इस कारण पीएमसी बैंक को 4,355 करोड़ का नुकसान हुआ। आरबीआई ने जांच में पाया कि एचडीआईएल ने बैंक अधिकारियों के साथ मिल कर यह धोखाधड़ी की है।
दस साल से चल रहा था ऋण देने का बड़ा खेल पंजाब ऐंड महाराष्ट्र कोऑपरेटिव (PMC) बैंक में फाइनैंशल फ्रॉड लगभग दशक से चल रहा था। मामले से वाकिफ सूत्रों ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि जॉय थॉमस की अगुवाई में बैंक मैनेजमेंट ने कंस्ट्रक्शन कंपनी एचडीआइएल को फंड दिलाने के लिए हजारों डमी अकाउंट खोले हुए थे। यह खेल करीब 10 साल से चल रहा था। रेगुलेटर को पता चला है कि थॉमस और मैनेजमेंट के कुछ लोगों ने मिलकर 4 हजार 226 करोड़ रुपए (बैंक के टोटल लोन का 73% हिस्सा) सिर्फ एचडीआइएल को दिए थे, जो अब दिवालिया हो गई है।
यह है मामला भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) ने पंजाब एंड महाराष्ट्र कॉपरेटिव बैंक (Punjab and Maharashtra Cooperative Bank, PMC Bank) पर कड़ी कार्रवाई करते हुए बैंक पर कई तरह की रोक लगा दी हैं. अब यह बैंक किसी ग्राहक को नया लोन जारी नहीं दे सकता है. साथ ही, RBI (Reserve Bank Of India) ने ग्राहकों को 6 महीने तक सिर्फ 10 हजार रुपये कैश निकालने का आदेश दिया है ।