आरोप है कि पेड़ों को सुखाने के लिए ठेकेदार ने पेड़ों की जड़ों में जहरीले रसायन भर दिए। इसके बाद पेड़ सूख गए। शिवतेज फाउंडेशन ने बीएमसी के के-वेस्ट और वृक्ष प्राधिकरण के पास शिकायत भी दर्ज कराई थी। फाउंडेशन ने स्कूल प्रबंधन और ठेकेदार के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग भी की थी। वर्सोवा पुलिस थाने को भी मामले की जानकारी दी गई थी। कार्रवाई करने के बजाय बीएमसी के अतिरिक्त उद्यान अधीक्षक योगेंद्र सिंह कच्चावा फाउंडेशन के सदस्यों पर ही चिल्लाए कि तुम लोगों ने किसी को पेड़ों को मारते देखा है क्या? इसके बाद एक जांच अधिकारी सतीश करांडे (जेटीओ) को भेजा गया, जिनकी जांच रिपोर्ट में बताया गया कि पेड़ अपने आप सूख गए हैं।
स्थानीय लोग सवाल कर रहे हैं स्कूल परिसर में निर्माण शुरू होने के दो महीने के भीतर 10 से 50 साल पुराने हर-भरे पेड़ सूख कैसे सकते हैं? फाउंडेशन ने सरकार से मांग की है कि स्कूल प्रशासन और ठेकेदार के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज होने तक परिसर में निर्माण कार्य पर रोक लगाने की मांग भी की गई है। सरकार और प्रशासन की ओर से कार्रवाई नहीं की गई तो स्थानीय लोगों ने आंदोलन की चेतावनी दी है।
…तो होगी कार्रवाई
हमें इस तरह की शिकायत मिली है। अभी तक मैंने मुआयना नहीं किया है। मंगलवार को हम जगह पर जाएंगे और निरीक्षण करेंगे। यदि पर्यावरण के साथ खिलवाड़ किया गया है तो संबंधित लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।
दशरथ खंडू घुले, डिप्टी सुपरिंटेंडेन्ट ऑफ गार्डन, के-वेस्ट
शिकायत को हमने संबंधित विभाग को सौंप दिया था। इसकी जांच कराई गई थी। पर्यावरण के साथ खिलवाड़ हुआ है तो संबंधित विभाग को अधिकारियों पर कार्रवाई करनी चाहिए, ताकि भविष्य में हरे-भरे पेड़ न काटे जा सकें।
प्रशांत गायकवाड, वार्ड ऑफिसर, के-वेस्ट