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खाकी जी बने देवदूत, हर हाथ को मदद

locationमुंबईPublished: Mar 28, 2020 10:26:04 pm

Submitted by:

Arun lal Yadav

अभी है तो सिर्फ काम… काम और बस काम… काम भी इतना है कि काम के घंटे की बात करना बेमानी हो जाता है। अस्पताल पहुंचाना हो तो पुलिस… खाना खिलाना हो तो पुलिस… कहीं कोई फंस गया है तो पुलिस, हर काम के लिए पुलिस ही बुलाई जा रही है

खाकी जी बने देवदूत, हर हाथ को मदद

खाकी जी बने देवदूत, हर हाथ को मदद

पत्रिका टीम
मुंबई. जब भी किसी पर अत्याचार होता है, किसी तरह की मुसीबत आती है, तो वह पुलिस स्टेशन की ओर दौड़ता है। यह मानव व्यवहार है कि पांच मिनट पहले जिस पुलिस को भला बुरा कह रहे है, अगले ही पल वे रक्षक नजर आते हैं। सच तो यह है कि भारतीय व्यवस्था की जान हैं, पुलिस विभाग।

जब भी कठिन समय आया, पुलिस विभाग ने अपनी नींद और चैन खोकर हमारी रक्षा की। इन दिनों महाराष्ट्र में दो लाख से अधिक पुलिस कर्मचारी और अधिकारी लोगों के लिए देवदूत का काम कर रहे हैं। न इनके दिन का ठिकाना है, न रात का पता… नहाना, धोना, खाना-पीना तक मुहाल है। यहां तक कि ये अपने बच्चों को गोद में भी नहीं उठा पा रहे हैं।

वायरस के चलते ये अपने परिवारों से भी दूरी बनाए हुए हैं। इनके पास अभी है तो सिर्फ काम… काम और बस काम… काम भी इतना है कि काम के घंटे की बात करना बेमानी हो जाता है। अस्पताल पहुंचाना हो तो पुलिस… खाना खिलाना हो तो पुलिस… कहीं कोई फंस गया है तो पुलिस, हर काम के लिए पुलिस ही बुलाई जा रही है। जब हमारे परिवार के लोग हमें घरों से निकलने नहीं दे रहे हैं, ऐसे में वे अपने दिन-रात घरों से बाहर बिता रहे हैं… इन दो लाख देव दूतों को महाराष्ट्र की जनता का सलाम….

रात दिन लोगों की सुरक्षा में तैनात संयुक्त पुलिस आयुक्त विनयकुमार चौबे ने पत्रिका को बताया कि हमारे जवान बेहतरीन काम कर रहे हैं। शहर में जहां भी मदद की जरूरत है, खाने की दिक्कत या किसी बुजुर्ग को दवा या अस्पताल जाने की जरूरत है, हमारे जवान पहुंच रहे हैं। देश भर में मुंबई पुलिस अपने शख्त काम के लिए जानी जाती है, लेकिन संकट की इस घड़ी में ममतामयी मां की तरह सेवा कर रही है।

जब जवानों ने खिलाया लोगों को खाना
21 दिन लॉकडाउन की सबसे बड़ी मार दिहाड़ी मजदूरों पर पड़ी है। एंटॉप हिल में भुल्लू मोतीलाल पटेल अपने परिवार के साथ रहते हैं। उनके परिवार में मां, पत्नी और 4 बच्चे समेत कुल 7 सदस्य हैं। ड्राइवर के रूप में पटेल जिस मालिक के यहां काम करते हैं, वह लॉकडाउन होते ही अपने गांव चला गया। उसने पटेल को पेंमेंट नहीं दिया।

एक दो दिन बाद पटेल के परिवार के सामने पेट भरने का संकट आ गया। परिवार ने तीन दिन तक पानी पीकर दिन निकाले। इसकी जानकारी एंटॉप हिल पुलिस को मिली। इसके बाद एंटॉप हिल पुलिस स्टेशन की कोकरी आगार बीट चौकी में तैनात पुलिस उप निरीक्षक पाऊल बुद्धे, पुलिस नाइक सुरवसे और होनमाणे ने पटेल के परिवार को मदद का हाथ बढ़ाया और परिवार को गेहूं, चावल, दाल, सब्जी, शक्कर, दूध और कुछ पैसे देकर मदद की। बता दें कि मुंबई के हर पुलिस स्टेशन में इस तरह की मानवीय संवेदनाएं बिखरी पड़ी हैं। ये लोग बिना अपनी जान की परवाह किए लोगों की मदद कर रहे हैं।

टीम से बड़ा कप्तान खुश

मुंबई पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह अपने जवानों के काम को देखते हुए खुश हैं। उन्होंने लोगों से अपील की है कि पुलिसकर्मियों के काम में सहयोग करें। वे अपना लगातार काम कर रहे हैं। कृपया लोग बिना जरूरत के घरों से न निकलें। पुलिसकर्मी आपकी सेवा में मौजूद हैं। पर आपको भी मामले को गंभीरता से लेना होगा।

मुंबई पुलिस ने लॉकडाउन के दौरान अतिआवश्यक सेवा के लिए घर से बाहर निकलने वालों को दैनिक पास बना कर देना शुरू किया है। पुलिस की तरफ से दिए जाने वाले पास की मदद से मेडिकल एवं दूध की सप्लाई करने वाले बिना किसी रूकावट के सेवा दे सकते हैं। अतिआवश्यक चीजों की सप्लाई के लिए घर से बाहर निकलने वाले अपने स्थानीय पुलिस स्टेशन से दैनिक पास बनवा सकते हैं।

नहाने के बाद परिवार से बात

जब जवानों ने खिलाया लोगों को खाना

ठाणे. ठाणे पुलिस कमिश्नर विवेक फंसालकर से पत्रिका प्रतिनिधि से बात करते हुए कहा कि देश में चल रहे भयानक महामारी कोरोना वायरस से लड़ने के लिए हम तैयार हैं। हमारे जवान हर हाल में लोगों की सुरक्षा कर रहे हैं। हम लोगों को जीवन उपयोगी सामान दूध, सब्जी, अनाज आदि उपलब्ध कराने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं। ठाणे पुलिस के जवान विपरीत परिस्थित में बेहतर काम कर रहे हैं। हम लोगों से अनुरोध कर रहे हैं कि वह कानून का पालन करते हुए अपने घरों में रहें।

इस समय ठाणे शहर में 3500 पुलिस कर्मियों के अलावा हेडक्वार्टर से 400 पुलिस कर्मी एक्सट्रा और तीन एसआरपी कंपनी तैनात किए गए हैं। इनमें 300 जवान और 500 होम गार्ड शामिल हैं।

हमारे परिजनों में भय
ठाणे विशेष शाखा के उपायुक्त बालासाहेब पाटील ने पत्रिका से बात करते हुए बताया कि हमारे जवान बहुत ज्यादा मेहनत कर रहे हैं। इस महामारी का डर आम लोगों की तरह पुलिसकर्मियों के परिवारों में भी भरा हुआ है। काम बहुत ज्यादा होने के चलते बहुत से जवान खुद ही घर नहीं जा रहे हैं। जो लोग घर जा रहे हैं उन्हें अस्पताल की तरह अलग से क्वारनटाइन रूम में जाकर रहना पड़ रहा है।

जवान घर पहुंचने पर पहले अपने सारे कपड़े निकाल कर गर्म पानी में डाल रहे हैं। उसके बाद नहाने के बाद ही परिवार से बात कर रहे हैं। ज्यादातर लोगों ने यह तय किया है कि जब तक यह महामारी है हम लोग परिवार वालों से दूरी बनाकर रखेंगे। पाटील ने कहा कि हमें स्वयं को बचाते हुए दूसरों को भी बचना है। इसलिए मास्क, हैंड ग्लोज और सेनेटाइजर के साथ तैनात रहते हैं।

जोन-5 के पुलिस उपायुक्त अविनाश अंबुरे ने बताया कि जोन 5 में अधिकारी और कर्मचारियों को तैनात कर दिया गया है। जिसमें 1 पुलिस उपायुक्त,2 एसीपी,18 पी.आई,35 पी.एस.आई और 372 पुलिस कर्मियों को तैनात किया गया है। ये सभी ड्यूटी हॉवर्स के अलावा मेहनत कर रहे हैं।

नींद और चैन गायब

 

खाकी जी बने देवदूत, हर हाथ को मदद

उल्हासनगर. उल्हासनगर परिमंडल चार की पुलिस लॉक डाउन के समय अपने स्वास्थ्य की परवाह न करते हुए सड़कों पर गश्त लगा कर लोगों को घर में बैठने को कहती नजर आ रही है। लेकिन बहुत से लोग इसे नहीं मान रहे हैं।

पुलिस के जाते ही लोग फिर सड़कों पर निकल पड़ते हैं, जिससे पुलिस को हर चौक चौराहे पर कई बार चक्कर लगाना पड़ रहा हैै। कई पुलिस वाले तो ऐसे हैं कि लगातार ड्यूटी करते हुए हफ्ते भर से ठीक से सोए नहीं हैं। ज्यादातर अपने परिवार से मिल नहीं पा रहे हैं। पर कर्तव्य के आगे अपने परिवार की चिंता न करते हुए वे अपनी ड्यूटी निभा रहे हैं।

उल्हासनगर के कई पुलिस अधिकारी अपने कर्मचारियों के साथ लोगों को भोजन पहुंचाने का कार्य भी कर रहे हैं। कई स्थानों पर तैनात पुलिसकर्मियों को पूरे दिन पानी और चाय तक नहीं मिल पा रहा है।

इस बारे में उल्हासनगर परिमंडल चार के पुलिस उपायुक्त प्रमोद शेवाले से बात की तो उन्होंने कहा कि हमारे तरफ से लोगों को यह संदेश है कि वे अपने घरों में ही रहे और बाहर ना निकले। एक दूसरे से डिस्टेंस बनाकर रखें, हमारी पुलिस 24 घंटे उल्हासनगर वासियों की सेवा में लगी हुई है।

उल्हासनगर के सहायक पुलिस आयुक्त टेले ने कहा कि हमारे लोग विषम परिस्थति में बिना किसी शिकायत के लोगों की सेवा में जुटे हैं। ऐसे में अगर लोग हमारी मदद करना चाहते हैं तो वे अपने घरों में ही बैठे रहें। पुलिस कर्मचारी जरूरतमंदों को खाना भी मुहैया करा रहे हैं।

अंबरनाथ. सामाजिक, धार्मिक संस्थाओं के साथ अब शिवाजीनगर पुलिस स्टेशन के सीनियर इंस्पेक्टर मंजीतसिंह बग्गा के मार्गदर्शन में पुलिस स्टॉफ ने अपनी ओर से शुक्रवार की दोपहर से भोजन का पैकेट बांटने का कार्य शुरू कर दिया है। जिससे कोई भूखा न रहे, अंबरनाथ प्राचीन शिवमंदिर के पास स्थित प्रकाशनगर बस्ती परिसर में भोजन के पैकेट बांटकर पुलिस ने अपनी उदारता का परिचय दिया। इसका लाभ वहां के सैंकडों गरीबों ने लिया.

हाईवे से गुजरने वालों को भोजन

खाकी जी बने देवदूत, हर हाथ को मदद

नवीं मुंबई. आमतौर पर पुलिसवालों के बारे में अच्छा नहीं कहा जाता। लेकिन कोरोना के इस संकट में पुलिस ने इस मिथक को तोड़ दिया है। नवी मुंबई से लगे मुंबई -पूना एक्सप्रेस मार्ग से काफी मजदूर अपने परिवारों के साथ पैदल ही गांव की तरफ जा रहे हैं। इन गरीब मजदूरों को कई दिनों से खाना नहीं मिला है। इस बात की सूचना मिलते ही नवी मुंबई पुलिस मसीहा बनकर सामने आई। बहुत प्यार और अपनेपन से लोगों को खाना खिलाया जा रहा है। क्राइम पीआई काटकर ने पत्रिका को बताया कि हम प्रति दिन 500 करीब लोगों को रोज खाना खिला रहे हैं।

छुट्टी रद्द, फील्ड में तैनात
कल्याण. कल्याण में पुलिस की 8 स्कॉट के साथ जहां 800 पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है, वहीं 10 जगहों पर पुलिस ने नाकाबंदी कर रखा है। जोन 3 के पुलिस उपायुक्त विवेक पानसरे ने पत्रिका से बातचीत में बताया कि जिन कर्मचारियों ने छुट्टी ले रखी थी उन्हें वापस बुला लिया गया है। कल्याण-डोम्बिवली में पुलिस विभाग की 20 गाडिय़ां एनाउंसमेंट के लिए लगाई गई है। उन्होंने कहा कि हम पलायन करने वालों को समझा रहे हैं। हमने मजदूरों के भोजन की व्यवस्था भी की है। हमारे पुलिसकर्मी दिलो जान से लगे हुए हैं।

परिवारों से बनाई दूरियां
पालघर. महामारी में खुद की जान की परवाह किए बिना पालघर पुलिस के योद्धा मैदान में डटे हैं। इन्हें न दिन का पता है न रात का। पुलिस अधीक्षक गौरव सिंह और अपर पुलिस अधीक्षक विजयकांत सागर खुद अपने अधिकारियों और कर्मचारियों के साथ 12 से 16 घंटे लोगों की सेवा में तत्पर हैं।

अपर पुलिस अधीक्षक विजयकांत सागर ने पत्रिका से बात करते हुए कहा कि हमारे लोग पूरे मन से सेवा में जुटे हुए हैं। पालघर में राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित कासा पुलिस स्टेशन के प्रभारी आनंदराव काले ने बताया कि इस समय मुंबई की ओर से आ रही मजदूरों की भीड़ को वापस भेजना एक बड़ा चैलेंज है।

पुलिस कर्मियों को सुरक्षा उपाय अपनाते हुए ही लोगो को स्पर्श करने के आदेश दिए गए हैं। काले ने कहा कि आस-पास के गांव के लोग मजदूरों को और पुलिस कर्मियों को सुबह का नाश्ता और खाना उपलब्ध करा रहे है।
उन्होंने कहा कि आज हमारे लोग अपने परिवार को कम समय दे रहे हैं। हमारे जवान खुद सामने से आकर कह रहे हैं कि देश के कई परिवारों की सुरक्षा का सवाल है।

इसी तरह नाकाबंदी में जुटे सातपाटी के सहायक पुलिस निरीक्षक जितेंद्र ठाकुर ने बताया कि पुलिस स्टेशन के सभी पुलिस कर्मी अपने परिवार को भी साफ सफाई के लिए जागरूक करते हैं। उन्होंने कहा कि क्षेत्र की कई सोसायटी पुलिस कर्मियों को नाश्ता खाना उपलब्ध करवा रही है।

पालघर क्राइम ब्रांच के सहायक पुलिस निरीक्षक भीमसेन गायकवाड़ ने कहा कि क्राइम ब्रांच पुलिस कर्मियों के लिए नाश्ते और खाने की व्यवस्था खुद कर रही है। गायकवाड़ ने कहा कि परिवार में पहुंचने के बाद भी परिवार से दूरी बनाए रखते हैं। सबसे ज्यादा दिक्कत बच्चों को दूर रखने पर होती है। तुलिंज पुलिस स्टेशन के एपीआई आंनद कोकरे ने बताया कि हममें से हर कोई 12 घंटे से अधिक ड्यूटी पर तैनात रहते है। घर जाने पर भी हमने वायरस को देखते हुए अपना कमरा अलग कर लिया है।

फर्ज के आगे डिप्रेशन को भी जगह नहीं

खाकी जी बने देवदूत, हर हाथ को मदद

भिवंडी. जहां लोग कोरोना के बचाव के लिए लॉकडाउन के कारण बेजार नजर आ रहे हैं। वही एक वर्ग ऐसा भी है, जो अपना घर परिवार छोड़कर रात दिन लोगों की निगरानी और सहायता में जुटा हुआ है। न समय से खाना न समय से नहाना और न ही परिजनों की कोई सुधि। बावजूद इसके वह लोगों की सेवा भाव में सदैव 24 घंटा तत्पर है।

आम लोगों की तरह ही तमाम तरह की दिक्कतेंं उनके परिवार में भी हैं। एक पुलिसकर्मी ने बताया कि समय से नहाना खाना न होने के कारण दिमाग डिप्रेश हो जाता है। लेकिन फर्ज इसके आड़े आते हुए कहता है कि यही हमारे कर्तव्य और सतर्कता की परीक्षा की असली घड़ी है। हमें उम्मीद है कि हम भिवंडीवासियों की स्वास्थ्य रक्षा करने में जरूर सफल होंगे।

भिवंडी जोन-2 के पुलिस उपायुक्त राज कुमार शिंदे ने बताया कि पुलिस के इस कार्य में भिवंडी की जनता का भी पूरा सहयोग मिल रहा है। हां कहीं-कहीं, कभी-कभी हम लोगों को बल प्रयोग करते हुए डंडा भी पटकना पड़ रहा है।

पुलिस के जवान अपना घर बार छोड़कर रात दिन लोगों की सेवा और कोरोना वायरस की लड़ाई में जी जान से जुटे हैं। इस दौरान सभी पुलिस कर्मियों की छुट्टियां भी रद्द कर दी गई है। पुलिस के पास बहुत से बेसहारा और बेघर बार मजदूरों के भी फोन आते हैं। अचानक लोगों को भागना पड़ता है, काम इतना ज्यादा है कि जवान घर जाने के लिए कहते ही नहीं हैं।


इस दौरान शहर में सौ जवानों वाली एक एसआरपीएफ की कंपनी, सौ होमगार्ड, मुख्यालय के 40 पुलिसकर्मी, यातायात पुलिस की तीनों ब्रांच के 90 पुलिस जवान, क्राइम ब्रांच के 30-35 पुलिस तथा डीसीपी सहित 80 पुलिस अधिकारी के अलावा सभी पुलिस स्टेशन और कंट्रोल रूम कुल मिलाकर लगभग साढे पांच सौ पुलिस कर्मचारी/अधिकारी रात-दिन लोगों की सहायता में जुटे हैं।

कार्य को चुनौती मान ले तो सफलता मिलनी ही है

 

खाकी जी बने देवदूत, हर हाथ को मदद
पुणे. पुणे पुलिस कमिश्नर डॉक्टर वेंकेटेशम ने पत्रिका से बात करते हुए कहा कि पुलिस 365 दिनों में 24 घंटे कार्य करने के लिए कटिबद्ध रहती है। हमारा मानना है कि आने वाली हर समस्या को चुनौती के रूप में लेकर कार्य किया जाए तो सफलता बाएं हाथ का काम है।
वर्तमान में लॉक डाउन को सफल बनाना हमारे लिए चुनौतीपूर्ण है। हमारे जवान अपना कर्तव्य ईमानदारी से निभा रहे हैं। ये उनका कठिन परिश्रम ही है, जो हमें सफलता मिल रही है। इस कठिन समय में हमारे लोग घर-परिवार यहां तक कि अपने स्वास्थ्य की चिंता किए बगैर लोगों के साथ प्रेम, करुणा और सद्भावना का व्यवहार कर रहे हैं। इसके साथ ही उन्होंने अपराधियों में कानून का भय भी पैदा किया है। हमारे लोग बिना शिकायत के बहुत ज्यादा मेहनत कर रहे हैं।

खाकी जी बने देवदूत, हर हाथ को मदद

वे बताते हैं इन दिनों कोरोनो के चलते अपराध में कमी आई है, बावजूद प्रत्येक पुलिस स्टेशन, प्रत्येक सहयोगी अधिकारियों से वे संपर्क बनाए हुए रहते हैं। कहीं भी शांति व्यवस्था भंग होने की स्थिति में उस क्षेत्र के अधिकारियों की कार्य पद्धति पर नजर रखते हैं, मॉनिटरिंग भी करते हैं। पुलिस की सर्विस समाज सेवा का पर्याय है।

मेरे रहते मेरा कोई सहयोगी, अधिकारी या उनके अधीनस्थ कर्मचारी किसी को भी फालतू परेशान नहीं कर सकते। पुलिस की जिम्मेदारी है कि वह सभी को सुरक्षा प्रदान करें। इन दिनों यातायात व्यवस्था विभाग को भी विशेष जिम्मेदारी देकर महानगर में तैनात किया हुआ है। विशेषकर इस समय में साइबर क्राइम पर नजर रखना जरूरी है व्हाट्सएप, फेसबुक एवं सोशल मीडिया के विभिन्न पहलुओं पर एवं फेक समाचारों पर काग निगरानी रखी जा रही है।

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