वहीं, विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस ने कर्मचारियों की मांगों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करने की हिदायत के साथ इसे पुलिस और खुफिया विभाग की नाकामी करार दिया। इस मामले में पुलिस ने वकील सदावर्ते गुणरत्ने समेत 110 लोगों को गिरफ्तार कर शनिवार को किला कोर्ट में पेश किया। वकील को अदालत ने 11 अप्रेल तक पुलिस कस्टडी और बाकी 109 लोगों को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया। केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता नारायण राणे ने एमवीए सरकार को नाकाम और उद्धव ठाकरे को लाचार मुख्यमंत्री बताया। एमवीए सरकार में शिवसेना के अलावा एनसीपी और कांग्रेस शामिल हैं। आजाद मैदान के धरनास्थल से पुलिस ने शुक्रवार रात ही एसटी कर्मचारियों को भगा दिया। कर्मचारी सीएसएमटी स्टेशन में घरना दे रहे हैं।
दो दिन में दूध का दूध और पानी का पानी
पुलिस कस्टडी में जाते वक्त सदावर्ते ने कहा कि दो दिन में दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। उनके वकील वासवानी ने बताया कि गुणरत्ने किसी मामले में कोर्ट में बहस कर रहे थे। वहीं से पुलिस ने उन्हें हिरासत में लिया और कोर्ट में पेशी के लिए ले गई। वासवानी ने कहा कि सदावर्ते पर आरोप गलत हैं। प्रदर्शन के वक्त वे कर्मचारियों के साथ नहीं थे। सदावर्ते पर हिंसा की साजिश रचने, कर्मचारियों को भडक़ाने और सरकार काम में काम रोड़ा डालने का आरोप है।
पुलिस का दुरुपयोग
सदावर्ते की पत्नी वकील जयश्री पाटिल ने कहा कि सरकार ने पुलिस मशीनरी का दुरुपयोग किया है। एनसीपी नेता के घर के बाहर प्रदर्शन कर कर्मचारियों ने अपनी पीड़ा सरकार तक पहुंचाने की कोशिश की। वहां कोई हिंसा नहीं हुई। पिछले पांच महीने से कर्मचारियों की आवाज अनसुनी की जा रही थी। पाटिल ने यह भी कहा कि उन्हें, उनके पति और परिवार की जान को खतरा है।
हमें निशाना बनाया जा रहा
पाटिल ने कहा कि हम सरकार का भ्रष्टाचार उजागर कर रहे हैं। पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ हाई कोर्ट में जनहित याचिका लगाई थी। हाई कोर्ट के आदेश पर जांच शुरू हुई और देशमुख जेल में हैं। गृृह मंत्री दिलीप वलसे पाटिल के खिलाफ भी 600 करोड़ रुपए के घोटाले की शिकायत दर्ज कराई है। इसलिए मेरा परिवार सरकार और पुलिस के निशाने पर है।
यह है मामला
घाटे के बोझ तले दबे परिवहन निगम के सरकार में विलय सहित विभिन्न मांगों को लेकर एसटी कर्मचारी पिछले साल नवंबर से ही हड़ताल पर हैं। आजाद मैदान में धरना-प्रदर्शन कर रहे थे। विद्यार्थियों और आम यात्रियों के हित में बॉम्बे हाई कोर्ट ने 22 अप्रेल तक कर्मचारियों को ड्यूटी ज्वाइन करने का आदेश दिया है।