600 लोगों को अवसाद से बाहर निकाला प्राची ने अपने साथियों के साथ ‘दिशा द लाइफ’ नामक संस्था बनाई। इस संस्था ने अब तक छह सौ से ज्यादा लोगों को अवसाद से बाहर निकाला है। वह हर किसी की मदद के लिए तैयार रहती हैं। प्राची के कॉलेज की दोस्त और सहयोगी अमरदीप कौर (28) कहती हैं, जब मैंने पहली बार प्राची को देखा , तो मुझे नहीं पता था कि यह लडक़ी मेरे जीवन का अभिन्न हिस्सा बनेगी। मुझे तो वह सामान्य-सी लडक़ी ही लगी थी। यह लडक़ी लोगों की मदद के लिए आउट ऑफ द वे जाकर काम करती है। वह हम जैसे बहुत से लोगों को प्रेरित करती है। जाने क्या है उसमें, जो उससे मिलते ही आत्मविश्वास बढ़ जाता है।
कुछ को नहीं था यकीन… प्राची कहती हैं, हम सभी के जीवन में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं। मैं समझती हूं, हमारे पास जो है, जितना है उसे पूरी ईमानदारी से आंकें तो खुश रह सकते हैं। जब मैंने काम शुरू किया तो कुछ लोगों को यकीन नहीं था कि मैं कुछ अच्छा कर पाऊंगी। पर, लोगों की बातों से मुझे कोई परेशानी नहीं होती। लोग क्या कहते हैं, उसकी परवाह नहीं करते हुए मैं अपने काम में भरोसा करती हूं।
दूसरों के मन की बात भी सुनें कमजोरियों को पीछे छोड़ प्राची लोगों को अवसाद से उबारने की दिशा में काम कर रही हैं। वे बेहतरीन काउंसिलर हैं। उनकी काउंसलिंग का ही नतीजा है कि इंदौर के ही 600 से ज्यादा लोग अवसाद से बाहर निकल सामान्य जीवन व्यतीत कर रहे हैं। प्राची और उनकी टीम ने 135 नए काउंसलर्स को ट्रेनिंग दी है। वे कहतीं हैं, आज हमने लोगों के मन की बात को सुनना बंद कर दिया है। हर कोई सिर्फ अपनी बात कहना चाहता है। असल परेशानी यहां से जन्म लेती है। जब हम किसी की बात को ध्यान से सुनते हैं, उसकी परिस्थिति समझने का प्रयास करते हैं, तो उसे बहुत सुकून मिलता है।
हर किसी का जीवन हो सुखमय प्राची ने कहा, यह सच है कि मेरी 21 सर्जरी हुई है। सच जान कर लोग चौंकते भी हैं। पर, दुनिया में हजारों-लाखों लोग ऐसे हैं, जिनका जीवन बहुत कठिन है, बावजूद इसके वे मुस्कुराते हुए जी रहे हैं। मैं चाहती हूं कि हर किसी का जीवन सुख से भरा हो।
जितनी आकांक्षाएं, उतनी परेशानी प्राची विविध एनजीओ के लिए काउंसिलिंग करती हैं। वे स्कूलों में जाकर छात्रों का मनोबल बढ़ाती हैं। वे कहतीं हैं, इंसान के जीवन में भरोसा बहुत बड़ी चीज है। यह ईमानदारी से ही पैदा होता है। आज लोग बहुत ज्यादा चतुर हो गए हैं। ऐसे में परेशानियां सामने आ रही हैं। जितना तेज दिमाग होगा, उतनी समस्याएं बढ़ती जाएंगी, जितनी आंकाक्षाएं होंगी, उतनी ही परेशानी भी बढ़ेगी। यदि मुझे दुनिया को कोई सलाह देनी हो तो मैं कहूंगी कि यदि आप खुश रहना चाहते हैं तो अपने प्रति ईमानदार रहें।