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जैन धर्म का अधिष्ठान अहिंसा परमो धर्म सन्देश है- राष्ट्रपति

locationमुंबईPublished: Oct 23, 2018 03:18:27 pm

महाराष्ट्र संतों और महापुरुषों की भूमि है…

(मुंबई): राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अहिंसा सम्मलेन में कहा कि मानवी कल्याण के लिए कार्य करने वाले जैन धर्म का अधिष्ठान अहिंसा परमोधर्म संदेश है। तीर्थंकरों ने सम्यक ज्ञान, सम्यक दर्शन और सम्यक आचरण का संदेश दिया है। अहिंसा केवल मानव के प्रति अभिप्रेत नहीं है बल्कि मन, वचन और आचरण से अहिंसा तत्व का पालन करना जरूरी है। केवल मानव के प्रति संवेदनशील और सहिष्णु न रहकर पशुपक्षियों, प्रकृति के प्रति सहिष्णुता रखने का ऋषभदेव द्वारा दिया अहिंसा का संदेश आज भी उतना ही उपयोगी है।


भगवान महावीर ने अपरिग्रह तत्व को महत्व दिया है। प्रकृति का बड़े पैमाने में शोषण हो रहा है। यह तत्व आचरण में लाते समय प्रकृति के प्रति सम्यक व्यवहार करना होगा। प्रकृति से निर्मित संसाधनों का संतुलित उपयोग करना होगा। इन संसाधनों का अति उपयोग करने से प्रकृति परिणामतः मानवी जीवन का अंत होगा। अहिंसा और करुणा का संदेश इसके लिए उपयोगी साबित होगा। केंद्र सरकार ने भी इस तत्व को लेकर आम लोगों के कल्याण के लिए विभिन्न योजनाएं चलाई है। महाराष्ट्र संतों और महापुरुषों की भूमि है। यहां से सामाजिक समरसता का संदेश देश को दिया गया है।


यह लोग भी रहे मौजूद

राष्ट्रपति नासिक में विश्वशांति अहिंसा संमेलन के उद्घाटन अवसर पर बोल रहे थे। कार्यक्रम में राज्यपाल सी. विद्यासागर राव, मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, राष्ट्रपति की पत्नी सविता कोविन्द, केंद्रीय संरक्षण राज्यमंत्री डॉ.सुभाष भामरे, पालकमंत्री गिरीष महाजन, विधायक राजेंद्र पाटणी आदि उपस्थित थे।


आदर्श शासक थे भगवान ऋषभदेव

इस अवसर पर मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा कि भगवान ऋषभदेव आदर्श शासक थे। करुणा और अहिंसा मंत्र उन्होंने दिया। विश्व को कल्याणकारी मूल्यों को समर्पित करने का कार्य उनके माध्यक से हुआ । मानवी कल्याण, शांति, बंधूभाव आदि मूल्यों को समाज में फैलाने का कार्य उन्होंने किया। उनकी 108 फुट की अतिभव्य मूर्ति के दर्शन से मूल्यविचारों की प्रेरणा मिलती है।

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