एनआईवी वैज्ञानिक बंदरों पर कोरोना रोधी वैक्सीन का परीक्षण करेंगे। टीका लगाने के बाद अगले 45 दिन तक बंदरों के स्वास्थ्य की निगरानी की जाएगी। वैज्ञानिक यह देखेंगे कि टेस्ट में शामिल बंदर कोविड-19 के संक्रमण से बचने में सफल होते हैं या नहीं। यदि इसमें सफलता मिली तब अगले कदम की तैयारी होगी। शोध के दौरान मिले संकेतों के अनुसार वैक्सीन के फॉर्मूले में बदलाव किया जाएगा। इसके बाद वैक्सीन का इंसानी ट्रायल शुरू होगा। नतीजे अनुकूल रहे तो कोविड-19 रोधी स्वदेशी वैक्सीन छह महीने के भीतर उपलब्ध हो जाएगी।
देश में संक्रमण का जब पहला मामला सामने आया, एनआईवी तभी से कोरोना रोधी वैक्सीन की खोज में जुटी है। एनआईवी दुनिया के उन चुनिंदा संस्थानों में शामिल है जिसने कोरोना वायरस के स्ट्रेन को अलग किया। वायरस का यही स्ट्रेन इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) ने वैक्सीन बनाने के लिए भारत बायोटेक को दिया है। अभी यह खुलासा नहीं किया गया है कि एनआईवी जिस वैक्सीन का परीक्षण करेगी वह भारय बायोटेक द्वारा तैयार की गई है या किसी दूसरी कंपनी ने बनाई है।
जहां तक भारत का सवाल है तो कई निजी और सरकारी संस्थाएं कोरोना रोधी वैक्सीन-दवाई बनाने में जुटी हैं। 30 से ज्यादा वैक्सीन पर काम चल रहा है। डिपार्टमेंट ऑफ बायोटेक्नॉलोजी की सचिव डॉ. रेणु स्वरूप के मुताबिक इनमें से 14 वैक्सीन के शुरुआती नतीजे उम्मीद जगाते हैं। चार वैक्सीन डेवलपमेंट के एडवांस स्टेज में हैं।
कोरोना रोधी वैक्सीन बनाने की दौड़ में दुनिया के कई देश शामिल हैं। ब्रिटेन में ऑक्सफोर्ड की बनाई वैक्सीन का परीक्षण चल रहा है। अमरीकी कंपनी मॉडर्ना की बनाई वैक्सीन इंसानी परीक्षण के दौर में है। रूस, इजरायल और ऑस्ट्रेलिया भी वैक्सीन पर काम कर रहे हैं। रूस में जल्द ही ट्रायल शुरू होगा। चीन की सिनोवैक बायोटेक भी अपनी वैक्सीन को लेकर आश्वस्त है।
दुनिया भर में कोरोना लाखों लोगों की जान ले चुका है। वैश्विक अर्थव्यवस्था को खरबों रुपए का नुकसान हुआ है। लाखों नहीं करोड़ों लोगों की रोजी-रोटी पर संकट है। इसे देखते हुए कोरोना रोधी वैक्सीन और कारगर दवाई का पूरी दुनिया में बेसब्री से इंतजार हो रहा है। अब देखना यह है कि कौन-सी वैक्सीन सबसे पहले बाजार में आती है। बेशक मॉडर्ना, सिनोवैक और ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन दौड़ में आगे दिख रही है। लेकिन, यह नहीं भूलना चाहिए कि सस्ती वैक्सीन बनाने में भारत को महारत हासिल है। इसीलिए भारतीय वैक्सीन पर सब की निगाहें टिकी हैं। सबसे पहले कोविड-19 रोधी वैक्सीन तैयार कर भारतीय वैज्ञानिक दुनिया को अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा सकते हैं।