बता दें कि पुणे और पिंपरी चिंचवाड़ में जनवरी से जून तक टीबी की वजह से 39 लोगों की मौत हुई है। 2020 में कोरोना महामारी के चलते इस बीमारी से पीड़ित कई लोगों का निदान नहीं किया गया था। जबकि अन्य लोगों के बीच टीबी सेवाएं महामारी से बाधित हो गई थीं, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, टीबी पर प्रभाव गंभीर था, जिसने अनुमान लगाया था कि 2021 में टीबी विकसित करने और बीमारी से मरने वाले लोगों की संख्या में ज्यादा वृद्धि हो सकती है।
पिंपरी-चिंचवड़ में टीबी नियंत्रण अधिकारी डॉ बालासाहेब होडगर ने बताया कि टीबी की वजह से होने वाली मरने वालों की संख्या अन्य राज्यों से शहर के इलाकों में लोगों के प्रवास के कारण देरी से निदान से संबंधित थी। व्यसन, अनियमित उपचार और रोगी की सहवर्ती स्थितियां भी टीबी के कारण होने वाली मौतों की संख्या से जुड़े कारकों में से हैं।
वैश्विक लक्ष्य से 5 साल पहले 2025 तक देश में टीबी को खत्म करने पर ध्यान केंद्रित करने के साथ, पुणे और पिंपरी चिंचवाड़ में स्वास्थ्य अधिकारी अब समस्या का समाधान करने में जुट गए हैं। महाराष्ट्र ने राज्य के प्रत्येक जिले के लिए रोग, जनसंख्या और अन्य कारकों की स्थानिकता के मुताबिक नए टीबी मामलों का पता लगाने के लिए अलग-अलग लक्ष्य तय किए हैं।
यहां देखें आंकड़े बता दें कि पुणे में सालाना 8 हजार से भी ज्यादा नए टीबी मामलों की पहचान करने का लक्ष्य था और शहर भर में टीबी नियंत्रण अधिकारी 2021 में करीब 7 हजार मामलों का पता लगा पाए थे। 2021 में जनवरी से दिसंबर तक, शहर की टीबी नियंत्रण इकाई ने 6,937 नए मामलों का पता लगाया। 2020 में 5,618 नए मामले दर्ज किए गए थे। इस साल जनवरी से जून तक टीबी के लगभग 3,294 टीबी के नए मामलेदर्ज किए गए हैं। वहीं, साल 2020 में पिंपरी-चिंचवड़ में टीबी के 2,060 नए मामले सामने आए और 2021 में लगभग 2,560 केस दर्ज किए गए। इस साल जून तक टीबी के 1,458 नए मामले सामने आए हैं।
पुणे शहर के टीबी नियंत्रण अधिकारी डॉ प्रशांत बोथे ने बताया कि मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं (आशा) को झुग्गियों और शहर के अन्य इलाकों से संदिग्ध टीबी रोगियों के थूक को इकट्ठा करने के लिए तैयार किया गया था। टीबी नियंत्रण कार्यक्रम में 170 आशा शामिल हैं और नमूनों के संग्रह के लिए उन्हें डायग्नोस्टिक माइक्रोस्कोपी केंद्रों तक पहुंचाने के लिए 30 रुपए दिए जाते है। प्रत्येक आशा के पास 7 से 8 मलिन बस्तियों का प्रभार है और इस नेटवर्क के साथ हम अधिक मामलों की पहचान कर पा रहे हैं। छह TruNat परीक्षण मशीनों और दो कार्ट्रिज-आधारित न्यूक्लिक एसिड एम्प्लीफिकेशन टेस्ट की शुरूआत ने टीबी जैसी बीमारी से के तेजी से ठीक होने में मदद की है।