मुंबई के कांदिवली में रहने वाले संत सूरत जाने के लिए अपने ड्राइवर के साथ निकले थे | लेकिन पालघर के पास उनकी गाडी रोक कर वापस भेज दिया गया | वंहा से वापस होकर गावं के अंदर से जाने की कोशिश करते समय उन्हें रोक कर हत्या कर दिया गया था | इस हत्या मामले में पालघर की कासा पुलिस ने 110 लोगो को गिरफ्तार किया है विशेष की यह हत्या पुलिस की मौजूदगी में होने के कारण पुलिस के ऊपर भी सवाल उठने लगे है |
आदेश के बावजूद पुलिस ने नहीं की फायरिंग पालघर के कासा पुलिस स्टेशन अंतर्गत गड़चिंचले गांव में हुई दो संतो की हत्या को लेकर पुलिस की भूमिका पर उठे सवाल के बाद पालघर के एसपी गौरव सिंह ने एक मीडिया को बयान देते हुए बताया है कि घटनास्थल पर पहले जो दो पुलिस के जवान पहुंचे थे | उनके पास हथियार नहीं थे लेकिन उसके बाद पहुंची पुलिस के पास हथियार थे और उन्हें फायरिंग के आदेश दिए गए थे | लेकिन पुलिस ने फायरिंग नहीं किया |
पालघर एसपी ने भीड़ का दिया बहाना पालघर के कासा पुलिस स्टेशन अंतर्गत गड़चिंचले गांव में संतो की हत्या करते समय फायरिंग नहीं किए जाने को लेकर पालघर पुलिस ने स्थानीय गाँव वालो का जमा भीड़ और माहौल का कारण दिया है कि अगर पुलिस फायरिंग करती तो माहौल और बिगड़ सकता था | घटनास्थल पर पहुंचे हमारे लोगों ने संतों को बचाने का पूरा प्रयास किया | लेकिन पुलिस बल कम होने के कारण और भीड़ ज्यादा होने के कारण हमारे लोग सफल नहीं हुए |
संतो को बचाने की कोशिश करने वाली सरपंच को धमकी संतों के साथ हो रही मारपीट का विरोध करने वाली गड़चिंचले गांव की सरपंच चित्रा जाधव को लगातार जान से मारने की धमकी मिल रहा है | इस के साथ ही हत्या की एकलौती गवाह महिला सरपंच है | इस धमकी के बाद अपनी और अपने परिवार की जान की सुरक्षा को लेकर गुहार लगाई थी | इसके बाद से महिला सरपंच को पुलिस सुरक्षा मुहैया करा दिया गया है |