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आबूरोड : चुन्नी-साड़ी के पल्लू लटकने से सड़क हादसे की आशंका

locationमुंबईPublished: Feb 26, 2017 11:09:00 am

Submitted by:

rajendra denok

सड़क हादसे होने के कारणों में कई बार दुपहिया वाहनों पर सवार होकर जाने वाली महिलाओं की लापरवाही भी शुमार है।

आबूरोड : चुन्नी-साड़ी के पल्लू लटकने से सड़क हादसे की आशंका

hanging of sari drape may become cause of accident

सड़क हादसे होने के कारणों में कई बार दुपहिया वाहनों पर सवार होकर जाने वाली महिलाओं की लापरवाही भी शुमार है। दरअसल कई बार समय पर व कम खर्च में गंतव्य तक पहुंचने की लालसा में गृहिणियां अपने पति अथवा अन्य परिजनों के साथ बाइक या स्कूटर पर रवाना हो जाती है। यहां तक तो कोई दिक्कत नहीं है, पर जब ये महिलाएं बाइक पर सफर के दौरान वस्त्र सम्भालकर बैठने में लापरवाही बरतती है तो वह लापरवाही हादसे का सबब बन जाती है। खास तौर पर चुन्नी, ओढऩी व साड़ी पहनने वाली महिलाओं के साथ ऐसा हादसा होने का आशंका ज्यादा बनी रहती है।
साड़ी-चुन्नी का पल्लू व्हील में उलझने का खतरा
अक्सर बाइक पर सवार महिला की ओढऩी या चुन्नी या साड़ी का पल्लू लटकता रहता है। जब बाइक सड़क पर फर्राटे भरने लगती है तब तेज हवा लगने से चुन्नी, साड़ी या ओढनी का पल्लू फर-फरकर कर उडऩे लगता है। उड़ता पल्लू चलती बाइक के पीछे वाले चक्के में फंसने का खतरा मंडराना शुरू हो जाता है। कई बार पल्लू उलझने पर महिलाएं चलती बाइक पर से सड़क पर गिरने से घायल होने का जान जाने का खतरा बना रहता है।
गोद में बच्चा या सामान होने पर ज्यादा खतरा
बाइक पर सवार महिला की गोदी में छोटा बच्चा या अन्य कोई सामान होने पर यह खतरा और भी बढ़ जाता है। होता यह है कि बच्चे या सामान को कसकर पकड़ रखने में उसका ध्यान साड़ी या ओढनी या चुन्नी के पल्लू से हटना लाजिमी है। ध्यान हटने व वाहन फर्राटे भरने के दौरान पल्लू व्हील में उलझने का खतरा और भी बढ़ जाता है। ऐसी स्थिति में सड़क हादसा होने का खतरा बढ़ जाता है।
वाहन चालकों को जागरूक करने की जरूरत
परिजनों के साथ बाइक पर सफर करने वाली महिलाओं को पल्लू सम्भालकर बैठने के लिए जागरूक करने व सतर्कता बरतने के लिए समझाने में यातायात पुलिसकर्मी, स्काउट व महिलाओं के संगठन अहम भूमिका निभा सकते हैं। चौराहों पर रोजाना घंटेभर सेवा देकर वहां से बाइक पर गुजरती महिलाओं को रुकवाकर वाहन चलाने वाले व पीछे की सीट पर सवार महिलाओं को इस सम्बंध में समझाकर जागरूक किया जा सकता है। ऐसी स्थिति में सड़क हादसों का ग्राफ भी कुछ हद तक नीचे लाया जा सकता है। साथ ही ऐसे हादसों में घायल होने या मरने वालों की संख्या में भी कमी लाई जा सकती है।
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