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Raksha Bandhan : मेरे राखी का मतलब है प्यार भइया

locationमुंबईPublished: Aug 14, 2019 12:59:49 pm

Submitted by:

Binod Pandey

बहनों को अपने भाइयों को राखी बांधने के लिए गुरुवार को पूरे दिन भर का समय मिल रहा है। इस दिन बहनें भाइयों को राखी बांधकर रक्षा का वचन लेंगी, वहीं भाई उनको उपहार भेंट करेंगे। भद्रा बुधवार 14 अगस्त को दिन में 2:27 से लगकर रात्रि 3:35 तक रहेगी, इसलिए गुरुवार 15 अगस्त को प्रात:काल से दिनभर तक रक्षाबंधन मनाया जाएगा। 15 अगस्त को दिन में 12:55 तक सौभाग्य योग है। उसके पश्चात शोभन योग लग रहा है, जो इस वर्ष के रक्षाबंधन में विशेष संयोग बना रहा है।

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Raksha Bandhan : मेरे राखी का मतलब है प्यार भइया

सुभाष गिरी

मुंबई. भाई-बहन का पवित्र त्योहार रक्षाबंधन इस बार बेहद खास होगा। इस बार न ग्रहण की छाया है, न ही भद्रा का झंझट है। रक्षाबंधन 15 अगस्त को मनाया जाएगा। बहनों को अपने भाइयों को राखी बांधने के लिए गुरुवार को पूरे दिन भर का समय मिल रहा है। इस दिन बहनें भाइयों को राखी बांधकर रक्षा का वचन लेंगी, वहीं भाई उनको उपहार भेंट करेंगे। भद्रा बुधवार 14 अगस्त को दिन में 2:27 से लगकर रात्रि 3:35 तक रहेगी, इसलिए गुरुवार 15 अगस्त को प्रात:काल से दिनभर तक रक्षाबंधन मनाया जाएगा। 15 अगस्त को दिन में 12:55 तक सौभाग्य योग है। उसके पश्चात शोभन योग लग रहा है, जो इस वर्ष के रक्षाबंधन में विशेष संयोग बना रहा है।

राखी बांधने की विधि एवं मंत्र
रक्षाबंधन के दिन बहनें प्रात: स्नान आदि से निवृत्त होकर वेदोक्त विधि से रक्षाबंधन, पित्र तर्पण और ऋ षि पूजन करें। रक्षा के लिए रेशम आदि का रक्षा उपयोग करें। उसमें सरसों, सुवर्ण, केसर, चन्दन, अक्षत और दूर्वा रखकर रंगीन सूत के डोरे में बांधें और अपने मकान के शुद्ध स्थान में कलशादि स्थापना करके उस पर उसका विधि विधान से पूजन करें। इसके पश्चात उसे बहन भाई को दाहिने हाथ में इस मंत्र के उच्चारण के साथ बांधे।

रक्षाबंधन का महत्व
रक्षाबंधन हिन्दू धर्म के सभी बड़े त्योहारों में से एक है. खासतौर से उत्तर भारत में इसे दीपावली या होली की तरह ही पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. यह हिन्दू धर्म के उन त्योहारों में शामिल है जिसे पुरातन काल से ही मनाया जा रहा है। यह पर्व भाई बहन के अटूट बंधन और असीमित प्रेम का प्रतीक है. यह इस पर्व की महिमा ही है जो भाई-बहन को हमेशा-हमेशा के लिए स्नेह के धागे से बांध लेती है. देश के कई हिस्सों में रक्षाबंधन को अलग-अलग तरीके से भी मनाया जाता है. महाराष्ट्र में सावन पूर्णिमा के दिन जल देवता वरुण की पूजा की जाती है. रक्षाबंधन को सलोनो नाम से भी जाना जाता है. मान्यता है कि इस दिन पवित्र नदी में स्नान करने के बाद सूर्य को अघ्र्य देने से सभी पापों का नाश हो जाता है. इस दिन पंडित और ब्राह्मण पुरानी जनेऊ का त्याग कर नई जनेऊ पहनते हैं।

कई ऐतिहासिक कारण भी
बादशाह हुमायूं और कमर्वती की कथा मुगल काल में बादशाह हुमायूं चितौड़ पर आक्रमण करने के लिए आगे बढ़ रहा था। ऐसे में राणा सांगा की विधवा कर्मवती ने हुमायूं को राखी भेजकर रक्षा वचन ले लिया। फिर क्या था हुमायूं ने चितौड़ पर आक्रमण नहीं किया। यही नहीं आगे चलकर उसी राखी की खातिर हुमायूं ने चितौड़ की रक्षा के लिए बहादुरशाह के विरूद्ध लड़ते हुए कर्मवती और उसके राज्य की रक्षा की।
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