राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक मनसे में शामिल होने के बाद बागी गुट के लिए सत्ता की सीढ़ी आसान हो जाएगी। शिवसेना की ही तरह कट्टर हिंदुत्व और मराठी माणुस के हितों की बुनियाद पर खड़ी मनसे के रिश्ते भाजपा के साथ अच्छे हैं। मनसे का एक ही विधायक है। बागी गुट के आने के बाद पार्टी के पास विधायकों की संख्या 50 पार कर जाएगी। समीकरण बदला तो राज ठाकरे भाजपा के साथ महाविकास आघाडी (एमवीए) सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने और नई सरकार के गठन पर चर्चा कर सकते हैं। भाजपा पर्दे के पीछे से बागियों की मदद कर रही है, मैदान में खुल कर सामने नहीं आई है।
राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक इससे एक तीर से कई निशाने सधेंगे। शिवसेना बैकफुट पर तो मनसे फ्रंट फुट पर आ जाएगी। महाराष्ट्र में शिवसेना को लेकर चल रही उद्धव बनाम शिंदे की लड़ाई ठाकरे बनाम ठाकरे में तब्दील हो जाएगी। विदित हो कि राज ठाकरे 2005 तक शिवसेना की युवा इकाई के नेता थे। चुटीले भाषण और कार्टून के जरिए कटाक्ष में माहिर राज को शिवसेना के संस्थापक बालासाहेब का उत्तराधिकारी माना जाता था। उद्धव को कमान देने के फैसले से नाराज राज ने जनवरी, 2006 में पार्टी से इस्तीफा दे दिया। उसी साल मार्च में उन्होंने मनसे नाम से अलग पार्टी बनाई। शिवसेना को जोर का झटका लगा था। पार्टी के कई नेता और बड़ी संख्या में कार्यकर्ता राज के पाले में आ गए।
मनसे सत्ता का स्वाद भले नहीं चख पाई, मगर उसके बाद के चुनावों में शिवसेना को नुकसान पहुंचाती रही है। माना जा रहा कि शिवसेना के बागी विधायक मनसे के लिए संजीवनी साबित हो सकते हैं। उद्धव और राज रिश्ते में चचेरे भाई हैं।
बागी गुट को फायदा
मनसे में विलय आसान विकल्प। 18 जुलाई को राष्ट्रपति चुनाव है, जिसे देखते हुए बागी विधायकों के पास समय कम है।
भूमि पुत्रों का हित और कट्टर हिंदुत्व मनसे की विचारधारा है। शिवसेना के बागी यही चाहते हैं।
मनसे का नेटवर्क पूरे राज्य में है। इसके जनाधार का लाभ चुनाव में मिलेगा।
राज समय-समय पर उद्धव की खिंचाई करते रहते हैं। बागी विधायक मतदाताओं को समझा सकते हैं कि उन्होंने मजबूरी में बगावत की।
राज ठाकरे की एंट्री के बाद मामला ठाकरे बनाम ठाकरे बन जाएगा। मनसे कार्यकर्ता नेताओं के समर्थन में उतरे तो शिवसैनिक बैकफु ट पर होंगे।
शिवसेना के साथ गठबंधन टूटने के बाद भाजपा को सहयोगी की तलाश है। दोनों दलों के बीच विगत में चर्चा हो चुकी है। मुंबई-ठाणे सहित कई महानगर पालिकों के आगामी चुनाव के लिए मनसे से भाजपा हाथ मिला सकती है। मनसे शिवसेना के वोट काटेगी जिसका फायदा भाजपा को मिलेगा।