मलाड में है माता का मंदिर
मलाड में बना जीणमाता का मंदिर आज राजस्थानी समाज की आस्था के केन्द्र है। यहां दर्शन करने वाले भक्तों की संख्या में इजाफा होते जा रहा है। मंदिर अब पूरी तरह चांदी जडि़त हो चुका है। चैत्र नवरात्र में नौ दिन यहां भक्तों का मेला लगा रहता है और पूरे नौ दिन सतत अखंड श्री जीणचरित मंगल पाठ, अखंड ज्योत, प्रसाद वितरण और 108 कन्या पूजन किया जाता है। महिला सदस्यों ने मंगला पुरोहित के नेतृत्व में श्री जीणचरित मंगल पाठ की कमान संभाल रखी है, इस मंदिर में हर महीने के शुक्लपक्ष की अष्टमी को मंदिर में मंगल पाठ, अखंड ज्योत, भजनों और प्रसाद वितरण का आयोजन होते रहता है। इसके अलावा भायंदर सप्तेश्वर सालासर बालाजी मंदिर प्रांगण में जीणमाता का मंदिर अभी हाल ही में बना है यहां भी भक्तों का तांता लगा रहता है।
चैत्र नवरात्रि की धूम
चैत्र की नवरात्रि में संस्था का वार्षिकोत्सव और जून महीने में मंदिर का स्थापना दिवस धूमधामपूर्वक मनाया जाता है। 31 दिसंबर को नववर्ष की पूर्व संध्या पर मंदिर में वर्षानुरूप फलों का शृंगार और भजन संध्या का आयोजन कर भारतीय संस्कृति का अनुकरण किया जाता है, 31 दिसंबर को मुंबईया युवा पश्चिमी संस्कृति में बहता है जिसे संस्था गलत मानती है। यह देश और समाज दोनों के लिए सही नहीं है, संस्था के सदस्य 31 दिसंबर को मंदिर में सपरिवार आते हैं, ताकि युवा पीढ़ी रीतिरिवाज और संस्कार सीख सके।