खतरे में नहीं डालें अपनी जान एक ट्रेन दुर्घटना में दोनों पैर गंवा चुके सामाजिक कार्यकर्ता समीर झवेरी कहते हैं कि लोकल से सफर करते हुए सजग रहना चाहिए, यह नहीं भूलना चाहिए कि जीवन बहुमूल्य है। रेल प्रवासी संघ के अध्यक्ष सुभाष गुप्ता कहते हैं कि रेलवे को अपनी मानसिकता बदलनी होगी। प्रशासन का काम सिर्फ रेल चलाना नहीं बल्कि यात्रियों की सुरक्षा भी सुनिश्चित करना है। लोगों को भी समझना होगा कि अपनी जान खतरे में न डालें। न भूलें कि घर पर कोई आपका इंतजार कर रहा है।
15 डिब्बे की हो लोकल महानगर में अधिकतर लोकल 12 डिब्बे की चलती हैं। भीड़ कम करने के लिए अब 15 डिब्बे की लोकल चलाने की योजना बनाई गई है। इस पर अमल हुआ तो लोकल ट्रेन की क्षमता 30 प्रतिशत तक बढ़ सकती है। फिलहाल वेस्टर्न रेलवे में चार और सेंट्रल रेलवे में एक 15 डिब्बे वाली लोकल चलती है। सभी लोकल गाडिय़ों को 15 डिब्बे की बनाने का विचार अच्छा है, लेकिन इस पर अमल आसान नहीं है।