scriptSawan 2022: महाराष्ट्र में भगवान शिव के इस मंदिर का पांडवों ने एक ही रात में किया था निर्माण, ऐसा है यहां का शिवलिंग | Sawan 2022: This temple of Lord Shiva in Maharashtra was built by the Pandavas in a single night, this is the Shivling here | Patrika News
मुंबई

Sawan 2022: महाराष्ट्र में भगवान शिव के इस मंदिर का पांडवों ने एक ही रात में किया था निर्माण, ऐसा है यहां का शिवलिंग

महाराष्ट्र में मुंबई के पास अंबरनाथ शहर में एक शिव मंदिर है जिसे अंबरनाथ मंदिर के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर को अंबरेश्वर के नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर को पांडवकालीन मंदिर भी बताया जाता है। मंदिर में मिले शिलालेख के अनुसार, इस मंदिर का निर्माण 1060 ईं में राजा मांबाणि ने करवाया था।

मुंबईAug 01, 2022 / 04:26 pm

Siddharth

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Ambarnath Shiv Mandir

महाराष्ट्र में मुंबई के पास अंबरनाथ शहर में एक शिव मंदिर है जिसे अंबरनाथ मंदिर के नाम से जाना जाता है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और इसे अंबरेश्वर के नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर को पांडवकालीन मंदिर भी बताया जाता है। मंदिर में मिले शिलालेख के मुताबिक, इस मंदिर का निर्माण राजा मांबाणि ने 1060 ई में करवाया था। मंदिर के बारे में कहा जाता है कि इस मंदिर जैसा पूरी दुनिया में कोई मंदिर नहीं है। अंबरनाथ शिव मंदिर के पास कई ऐसे चमत्कार हैं, जिससे इसकी मान्यता बढ़ती जाती है।
ऐसा है इस मंदिर का शिवलिंग: बता दें कि अंबरनाथ शिव मंदिर अद्वितीय स्थापत्य कला के लिए फेमस है। इस मंदिर के बाहर दो नंदी बैल बने हुए हैं। मंदिर के एंट्री के लिए तीन मुखमंडप हैं। भीतर जाते हुए सभामंडप तक पहुंचते हैं और फिर सभामंडप के बाद 9 सीढ़ियों के नीचे गर्भगृह स्थित है। मंदिर की मुख्य शिवलिंग त्रैमस्ति की है और इनके घुटने पर एक नारी है, जो शिव-पार्वती के रूप को दर्शाती है। ऊपर के भाग पर शिव नृत्य मुद्रा में नजर आते हैं।
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पेडों के बीच में स्थित है यह मंदिर: इस मंदिर के गर्भगृह के पास गर्म पानी का कुंड भी है। इस मंदिर के पास ही एक गुफा है, जो कहा जाता है कि उसका रास्ता पंचवटी तक जाता है। यूनेस्को ने अंबरनाथ शिव मंदिर सांस्कृतिक विरासत घोषित किया है। वलधान नदी के किनारे स्थित यह मंदिर आम और इमली के पेड़ से घिरा हुआ है।
आकर्षित करती हैं यहां की मूर्तियां: इस मंदिर की वास्तुकला शानदार है, यहां देश-विदेश से कई लोग दर्शन के लिए आते हैं। मंदिर की बाहर की दिवारों पर भगवान शिव के कई रूप बने हुए हैं। इसके साथ ही गणेश, कार्तिकेय, चंडिका आदि देवी-देवताओं की मूर्तियां से सजा हुआ है। साथ ही देवी दुर्गा की असुरों का नाश करते हुए भी दर्शाया गया है।
एक ही रात में बनया था यह विशाल मंदिर: कहा जाता है कि अज्ञातवास के दौरान पांडव कुछ साल अंबरनाथ में बिताए थे, तब पांडवो ने विशाल पत्थरों से एक ही रात में इस मंदिर का निर्माण किया था। इसके बाद कौरवों द्वारा लगातार पीछे किए जाने के भय से पांडव ये जगह छोड़कर चले गए। जिसकी वजह से मंदिर का कार्य पूरा नहीं हो सका। यह मंदिर आज भी खड़ा है।
हर साल मेले का होता है आयोजन: बता दें कि इस मंदिर के भीतर और बाहर कम से कम 8 ब्रह्मदेव की मुर्तियां बनी हुई हैं। इसके आसपास कई जगह प्राचीन काल की ब्रह्मदेव की मुर्तियां हैं, जिससे ये स्पष्ट होता है कि यहां पहले ब्रह्मदेव की उपासना होती थी। शिवरात्रि के अवसर पर यहां मेले का आयोजन किया जाता है। यह मेला तीन से चार दिनों का होता है, इस मेले में काफी भीड़ होती है।
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