महिलाओं की तुलना में पुरुषों में मधुमेह की संभावना ज्यादा
स्वास्थ्य देखभाल कार्यक्रम…
केंद्र की नीति के अनुसार, स्वास्थ्य विभाग ने टाटा ट्रस्ट की मदद से जुलाई 2018 को चंद्रपुर जिले में बुजुर्गों के लिए एक व्यापक स्तर पर स्वास्थ्य देखभाल कार्यक्रम लागू किया और स्वास्थ्य विभाग के डॉक्टरों, नर्सों, आशा कार्यकर्ताओं और टाटा ट्रस्ट के कर्मचारियों ने चंद्रपुर के गांवों में बुजुर्गों के स्वास्थ्य का निरीक्षण किया। इनमें मधुमेह, रक्तचाप, वृद्धावस्था, योग, हाथों की शिथिलता, गर्दन का व्यायाम और स्वास्थ्य देखभाल कैसे करें समेत पुरानी बीमारियों से निपटने के बारे में जानकायां शामिल थीं।
आयुष्मान भारत: इन प्राइवेट अस्पताल में पांच लाख तक का इलाज हुआ फ्री, यहां देखें अस्पताल की लिस्ट
अब बुजुर्ग खुद रख सकते हैं अपना ध्यान…
बुजुर्गों के अकेलापन महसूस करने में मदद करने के लिए मनोरंजन कार्यक्रम भी आयोजित किए गए थे। इसके लिए 117 डॉक्टरों, 709 नर्सों और 297 आशा कार्यकर्ताओं की ओर से कार्यान्वित कार्यक्रम के तहत करीब 13 हजार 347 बुजुर्गों की पूरी तरह से जांच की गई थी। वहीं सितंबर 2018 तक 25 हजार 143 बुजुर्गों को गांव के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और उप-केंद्रों में स्वास्थ्य सलाह दी गई। इससे ग्रामीण क्षेत्रों के बुजुर्गों में स्वास्थ्य जागरूकता पैदा हुई है। स्वास्थ्य विभाग में वरिष्ठ डॉक्टरों का कहना है कि उन बुजुर्गों का मानना है कि अब हम अपने स्वास्थ्य का ध्यान रख सकते हैं।
देश की सबसे बड़ी स्वास्थ्य योजना का काला सच,भगवान भरोसे आयुष्मान भव
योजना का विस्तार ..
बुजुर्गों के स्वास्थ्य के लिए यह ‘आयुष्यमान भव’ योजना टाटा ट्रस्ट के सहयोग से नंदूरबार जिले के शाहादा में कार्यान्वित की जा रही है। इसके अलावा स्वास्थ्य विभाग ने अब वर्धा, भंडारा, वाशिम, हिंगोली और जालना जिलों में बुजुर्गों की स्वास्थ्य योजनाओं को लागू करने का निर्णय लिया है। ग्रामीण क्षेत्रों में लोग अब केवल कृषि पर निर्भर नहीं हैं, बल्कि कई लोग आजीविका के लिए शहरों की ओर भी रुख करते हैं। उस समय घर में बुजुर्गों को देखने के लिए किसी के भी पास समय नहीं होता है।
पीएम मोदी ने आयुष्मान योजना को लेकर किया बड़ा एेलान, मिलेगा 5 साल का सालाना मेडिकल कवरेज
स्वास्थ्य देखभाल को प्राथमिकता…
गांवों में क्रियान्वित किए जा रहे विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से बुजुर्गों को जागरुक किया जा रहा है, जबकि अकेलेपन और अवसाद ने बुजुर्गों को उलझा कर रख दिया है। ऐसे बुजुर्गों को मानसिक उपचार और स्वास्थ्य देखभाल के लिए प्राथमिकता दी जा रही है।
– डॉ. साधना तायड़े, निदेशक, स्वास्थ्य विभाग