मुंबई

SEBC और EWS के छात्रों ने लगाई गिहार

प्रमाण पत्र को लेकर आरक्षित छात्र खुली श्रेणी में प्रवेश के लिए हुए मजबूर
छात्रों को जाति सत्यापन के लिए मिला 3 महीने का समय
11वीं प्रवेश में कई छात्रों की उपेक्षा

मुंबईJul 19, 2019 / 12:40 pm

Rohit Tiwari

SEBC और EWS के छात्रों ने लगाई गिहार

मुंबई. कई छात्रों ने एसईबीसी आरक्षण के संबंध में भ्रम के कारण खुली श्रेणी से आवेदन भरना पसंद किया था। लेकिन खुली श्रेणी में प्रवेश नहीं मिलने के चलते अब मराठा समुदाय के छात्रों ने एसईबीसी कोटे का उपयोग करने के लिए मोर्चा खोल दिया है। इसलिए प्रवेश की समय सीमा समाप्त होने के बाद छात्रों ने आवेदन को बदलने के लिए शिक्षा उप निदेशक के कार्यालय में गुहार लगाई। सर्टिफिकेट और कोर्ट केस की समस्या के कारण एसईबीसी और ईडब्ल्यूएस कोटे से प्रवेश आवेदन के लिए कई छात्रों की उपेक्षा की गई थी। वहीं शिक्षा मंत्री आशीष शेलार ने इस श्रेणी की श्रेणियों को बदलने के लिए छात्रों को विस्तार दिया। साथ ही छात्रों को जाति सत्यापन प्रमाणपत्र जमा करने के लिए तीन महीने का समय भी दिया गया।
मुंबई में एसईबीसी के 2 हजार 548 छात्रों का आवेदन…
हालांकि जाति प्रमाण पत्र के लिए जारी की जा रही कठिनाइयों के चलते छात्रों ने खुली श्रेणी से अपने आवेदन भरने को प्राथमिकता दी, इस डर को अनदेखा करते हुए कि अगर समय पर प्रमाण पत्र प्राप्त नहीं मिला तो कहीं उनका साल न बर्बाद हो जाए। परिणामस्वरूप 11वीं प्रवेशों में एसईबीसी और ईडब्ल्यूएस की सीटें खाली रह गईं। 11वीं में एसईबीसी की 15 हजार सीटें हैं, जबकि ईडब्ल्यूएस में 12 हजार 923 सीटें हैं। इन सीटों के लिए मुंबई मंडल के एसईबीसी में 2 हजार 548, जबकि ईडब्ल्यूएस के लिए 1 हजार 376 आवेदन थे। लेकिन अब माता-पिता और छात्रों के मन में भ्रम की स्थिति दूर हो गई है। वहीं कई को प्रमाण पत्र के लिए एक आवेदन पत्र प्राप्त हुआ है। इसलिए उन्होंने दूसरे दौर में एसईबीसी के तहत प्रवेश के प्रयास शुरू कर दिए हैं।
नमूना बना नजर आ रहा सहायता समूह…
पहली सूची में खुली श्रेणी से प्रवेश न मिलने के कारण कई छात्र अपनी जाति की श्रेणी बदलने के लिए उप निदेशालय के कार्यालय पहुंचे थे। इसलिए दूसरी सूची में सीबीसी की संख्या में वृद्धि की संभावना है, जिससे इस श्रेणी में प्रवेश के लिए मुश्किल होगी। विदित हो कि 11वीं प्रवेश प्रक्रिया में छात्रों को किसी भी तरह की कोई समस्या होने न हो, इसके लिए शिक्षा उप निदेशालय के कार्यालय में हजारों रुपये खर्च करके एक सहायता केंद्र शुरू किया गया है। इसके बावजूद 11वीं में प्रवेश को लेकर छात्रों की समस्याओं को दूर किया जा रहा है। इसलिए छात्रों के लिए हजारों रुपये खर्च करके शुरू किया गया सहायता केंद्र भी नमूना बना ही नजर आ रहा है।
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