उल्लेखनीय है कि उस समय राज्य में कांग्रेस-एनसीपी की सरकार थी। कांग्रेस और एनसीपी के कई नेताओं ने दिवंगत ठाकरे की गिरफ्तारी पर जोर दिया था। पवार ने कहा उनके जैसे कुछ नेताओं ने इसका विरोध किया था। हम नहीं चाहते थे कि बालासाहेब को गिरफ्तार किया जाए। विदित हो कि बाबरी मस्जिद विध्वसं के बाद 1992 में शिवसेना के मुखपत्र में एक लेख प्रकाशित हुआ था, जिसे सांप्रदायिक सौहाद्र्र बिगाडऩे के लिए सरकार ने जिम्मेदार माना था। उसी साल मुंबई में सीरियल बम धमाके हुए थे, जिसमें 300 बेगुनाहों की जान गई थी।
ठाकरे ने हिंदुओं को बचाया महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक घोटाले में एनसीपी मुखिया शरद पवार के खिलाफ मामला दर्ज होने के बाद खूब सियासत हुई। कांग्रेस और एनसीपी के अलावा शिवसेना और मनसे ने भी पवार का समर्थन किया था। हाल ही में शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने अपने पिता की गिरफ्तारी पर कहा कि बदले की राजनीति का हम समर्थन नहीं करते हैं। लेकिन, मेरे पिता को भ्रष्टाचार के मामले में नहीं बल्कि 1992-93 के दौरान हुए दंगों में हिंदुओं की रक्षा के लिए गिरफ्तार किया गया था।
उम्र भले 80 साल, ऊर्जा 30 के युवा से कम नहीं मुंबई. महाराष्ट्र की राजनीति के पर्याय माने जाने वाले राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के मुखिया शरद पवार ने इस बार के विधानसभा चुनाव में पूरा दम-खम झोंक दिया है। उम्र के 80 साल पूरा करने के बावजूद वे खुद को 30 साल के युवा के बराबर फिट मानते हैं। एक निजी चैनल से बातचीत में पवार ने कहा, मैं फिट और जवान हूं। केवल चार घंटे सोता हूं। हर दिन सुबह जल्दी उठता हूं और कम से कम पांच बैठकों में शामिल होता हूं। पवार ने कहा कि प्रदेश के चुनाव में केन्द्र की भाजपा सरकार का अनुच्छेद-370 पर किया गया फैसला असर नहीं डालेगा। वहीं महाराष्ट्र सरकार भी ग्रामीणों से किए गए वादे निभाने में विफल साबित हुई है। राज्य की जनता सरकार से नाराज है और इस बार बदलाव चाहती है। उन्होंने कहा कि राज्य में प्याज की बढ़ती कीमतें, उद्योगों की रफ्तार घटने, किसानों की आत्महत्या जैसे गंभीर मुद्दे हैं, जिन पर सरकार ने कारगर काम नहीं किया। एनसीपी-कांग्रेस छोड़ने वाले कार्यकर्ताओं पर कहा कि जितने लोग छोड़कर गए हैं, उतने ही लोग शामिल भी हो गए।