कुछ ही मिनटों के अंतर में दोनों को सजा शक्ति मिल मामले में दोनों आरोपितों का मामला एक साथ चला और कुछ ही मिनटों के अंतर में दोनों को सजा दी गई। इस धारा के तहत दी गई यह देश की पहली फांसी की सजा है जो कानूनी तौर पर उचित नहीं है। जबकि सरकार की ओर से यह बात कही गई कि दुष्कर्म, हत्या से बड़ा अपराध है। दुष्कर्म से पीडि़त व्यक्ति का सिर्फ शरीर ही नहीं बल्कि उसकी आत्मा भी घायल होती है। इस मानसिक चोट से उबरने के लिए पीडि़त को बड़ा समय लगता है। इसलिए दुष्कर्म के बढ़ते मामले और समाज में बढ़ रहे रोष को देखते हुए कानून में हुए नए सुधार के अनुसार शक्ति मिल दुष्कर्म मामले में फांसी की सजा उचित है।
शक्ति मिल गैंगरेप से हिल गया था देश मुंबई सहित पूरा देश को हिला देने वाले शक्ति मिल गैंगरेप मामले में मुंबई सत्र न्यायालय ने आरोपितों विजय जाधव, कासिम बंगाली और सलिम अंसारी को फांसी की सजा सुनाई। उसके बाद तीनों ने सत्र न्यायालय के इस निर्णय के विरोध में बांबे हाईकोर्ट में अपील की। ध्यान रहे कि दिल्ली में घटे निर्भया मामले के बाद केंद्र सकरार ने धारा 376 (ई) कानून में सुधार कर संबंधित आरोपितों को दो बार दुष्कर्म करने पर आजीवन और फांसी की सजा का प्रावधान किया गया है। कानून में किए गए इस सुधार का आधार लेकर ही तीनों आरोपितों ने कोर्ट में याचिका दायर की है।