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मुंबई

दुष्कर्म और हत्या दोनों अपराधों के दर्द जुदा जुदा

शक्ति मिल दुष्कर्म मामले में सुनवाई पूरी, फैसला सुरक्षित

मुंबईMar 05, 2019 / 10:43 pm

arun Kumar

Separation of crime and murder separation of both crimes

Separation of crime and murder separation of both crimes

मुंबई .

बांबे हाईकोर्ट में चल रही शक्ति मिल दुष्कर्म मामले की सुनवाई मंगलवार को पूरी हो गई। हाईकोर्ट ने इससे संबंधित याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रखा है। न्यायधीश भूषण धर्माधिकारी और न्यायधीश रेवती मोहिते-डेरे की खंडपीठ के समक्ष यह सुनवाई हुई। मंगलवार को कोर्ट में याचिका की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से वकील युग चौधरी ने अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि दुष्कर्म के बाद पीडि़ता का भविष्य समाप्त सा हो गया। फांसी की सजा का प्रावधान भी आज के युग के लिए दकियानूसी ही है। क्योंकि सभी को जीने का अधिकार है। दुष्कर्म और हत्या इन दोनों अपराधों की तुलना नहीं हो सकती। शक्ति मिल दुष्कर्म मामले में आरोपितों को दी गई फांसी की सजा नए सुधारित कानून के अनुसार नहीं होने की बता नियुक्त वकील आभाद पोंडा ने रखी। उन्होंने कहा कि दुष्कर्म के मामले में सजा काट रहे आरोपित ने अगर दोबारा वही अपराध किया तो कानून के नए सुधार के अनुसार उन्हें दूसरे अपराध के लिए फांसी की सजा दी जा सकती है।
कुछ ही मिनटों के अंतर में दोनों को सजा

शक्ति मिल मामले में दोनों आरोपितों का मामला एक साथ चला और कुछ ही मिनटों के अंतर में दोनों को सजा दी गई। इस धारा के तहत दी गई यह देश की पहली फांसी की सजा है जो कानूनी तौर पर उचित नहीं है। जबकि सरकार की ओर से यह बात कही गई कि दुष्कर्म, हत्या से बड़ा अपराध है। दुष्कर्म से पीडि़त व्यक्ति का सिर्फ शरीर ही नहीं बल्कि उसकी आत्मा भी घायल होती है। इस मानसिक चोट से उबरने के लिए पीडि़त को बड़ा समय लगता है। इसलिए दुष्कर्म के बढ़ते मामले और समाज में बढ़ रहे रोष को देखते हुए कानून में हुए नए सुधार के अनुसार शक्ति मिल दुष्कर्म मामले में फांसी की सजा उचित है।
शक्ति मिल गैंगरेप से हिल गया था देश

मुंबई सहित पूरा देश को हिला देने वाले शक्ति मिल गैंगरेप मामले में मुंबई सत्र न्यायालय ने आरोपितों विजय जाधव, कासिम बंगाली और सलिम अंसारी को फांसी की सजा सुनाई। उसके बाद तीनों ने सत्र न्यायालय के इस निर्णय के विरोध में बांबे हाईकोर्ट में अपील की। ध्यान रहे कि दिल्ली में घटे निर्भया मामले के बाद केंद्र सकरार ने धारा 376 (ई) कानून में सुधार कर संबंधित आरोपितों को दो बार दुष्कर्म करने पर आजीवन और फांसी की सजा का प्रावधान किया गया है। कानून में किए गए इस सुधार का आधार लेकर ही तीनों आरोपितों ने कोर्ट में याचिका दायर की है।

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