शिवसेना अध्यक्ष ने बताया कि पहले चरण में एक लाख लोगों को इसका लाभ मिलेगा। बाद में और पांच लाख लोगों को मुफ्त सेट टॉप बॉक्स दिया जाएगा। गरीब और सामान्य लोगों को भी आधुनिक तकनीकी से जोड़ा जाना चाहिए। इस उद्देश्य से यह योजना शुरू की गई है। तकनीक का सही उपयोग किया गया तो विकास की गति तेज हो जाती है। ऐसे में ग्रामीण इलाकों में छात्रों को बेहतर ज्ञान के लिए यह योजना कारगर साबित होगी।
उद्धव ने कहा कि आधुनिक युग में इंटरनेट आवश्यक हो गया है। लोगों को जैसे आँख, कान, हाथ, पैर की जरूरत है, वैसे ही मोबाइल भी जरूरी हो गया है। मोबाइल के बिना अब कोई काम नहीं होता है। बस्ते का पूरा भार अब एक मेमरी कार्ड में समा गया है। टैब और मोबाइल में भी बच्चे पढ़ सकते है। उद्धव ने कहा कि स्वर्गीय बालासाहेब चाहते थे कि बच्चों के कंधे से बस्ते का बोझ हल्का हो, तब संभव नहीं था, क्योंकि तकनीकी इतनी ईजाद नहीं हुई थी।
एक पांच सितारा होटल में आयोजित कार्यक्रम में उद्धव ने इस योजना को हरी झंडी दिखाई। वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये उद्धव के भाषण का कोकण के सिंधदुर्ग में योजना के लाभार्थी और पार्टी कार्यकर्ताओं तक सीधा प्रसारण किया गया। कार्यक्रम में सिंधदुर्ग जिले के पालक मंत्री तथा गृह राज्य मंत्री दीपक केसरकर , इंटरनेट सुविधा देने वाली बीएसएनएल के प्रबंधन निदेशक पीयूष खरे , मुफ्त सेट टॉप बॉक्स देने वाली कंपनी स्ट्रीमकास्ट के चेयरमैन निमेष पांड्या तथा मुख्यमंत्री के ओएसडी कौश्तुभ आदि लोग उपस्थित थे।
गरीबों को कौन देगा आटा
चुनाव से पहले बड़ी-बड़ी राजनीतिक घोषणाएं करने वालों पर व्यंग्य कसते हुए शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने कहा कि चुनाव जीतने के लिए राजनेता गरीब जनता को लुभावने वादे करते हैं, कई तो टीवी, फ्रीज भी देते हैं। लेकिन बिल कौन भरेगा, यह नहीं सोचते हैं। मोबाइल इंटरनेट कंपनियां के लिए बड़े डाटा देती हैं, लेकिन गरीबों को खाने के लिए आटा कौन देगा,इस पर भी विचार होना चाहिए।
ई -लर्निंग को प्रोत्साहन
दीपक केसरकर ने कहा कि यह ऐतिहासिक योजना है। आम लोगों को इंटरनेट से जोड़ कर ई-लर्निंग को बढ़ावा दिया जाएगा।फिलहाल मुंबई मनपा जिस प्रकार से ई-लर्निंग और वर्चुवल क्लास रूम योजना चला रही है, जिससे बच्चों के कंधे का बोझ कम हो रहा है। इसी प्रकार से कोकण के इन छात्रों को भी डिजिटल शिक्षा से जोड़ने का यह प्रयास है। उन्होंने बताया कि आगामी दिनों में स्ट्रीमकास्ट 100 करोड़ रुपए कोकण में तकनीकी प्रसार के लिए खर्च करेगी।