मदद का भरोसा
अनाथालय के संचालक ही नहीं ठाणे के जिलाधिकारी राजेश नार्वेकर भी शबाना के मुरीद हैं। जिलाधिकारी ने न सिर्फ मेधावी छात्रा का सम्मान किया बल्कि जरूरत के वक्त मदद का भरोसा भी दिया। शबाना ने कहा कि डॉक्टर बनने की दिशा में अभी पहला कदम ही बढ़ाई हूं। पूरी लगन से पढ़ाई करूंगी ताकि डॉक्टर बन उस समाज की सेवा कर सकूं, जिसने मुझे सब कुछ दिया है।
पढ़ाई में अव्वल
शबाना बदलापुर के बांबे टीन चैलेंच अनाथालय में रहती हैं। यहां की सुपरिंटेंडेंट पद्मा गुढे ने बताया, वह पढ़ाई में अव्वल रही है। नई चीजें सीखने और पढऩे में वह आगे रही है। वह कहती थी कि मैं डॉक्टर बनना चाहती हूं। होनहार छात्रा को हमने प्रोत्साहित किया। अनाथालय के ट्रस्टियों ने भी मदद की। सभी जरूरी किताबें उसे मुहैया कराई गईं। शबाना ने संस्था का मान बढ़ाया है।
परिवार मिस करूंगी
शबाना ने कहा कि अनाथालय ही मेरा परिवार है। यहां मुझे हर खुशी मिली है। यहां सब मेरे दोस्त हैं। सभी ने मेरी मदद की है ताकि मैं पढ़ाई कर सकूं। पढ़ाई के लिए औरंगाबाद में रहूंगी तो इन्हें मिस करूंगी। शबाना स्त्री रोग विशेषज्ञ बनना चाहती हैं।
हॉस्पिटल में बेसहारा
चार साल की शबाना 18 साल पहले एक हॉस्पिटल में बेसहारा मिली थीं। माता-पिता ने एक साल के उनके भाई को भी वहीं छोड़ दिया था। काफी तलाश के बाद जब परिजन नहीं मिले तो भाई-बहन को बदलापुर के अनाथालय में सहारा मिला। माता-पिता के बारे में उन्हें कुछ याद नहीं है। उस बारे में कुछ जानना भी नहीं चाहती हैं।