शिंदे गुट की दो याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा “हम 11 जुलाई को इस मामले की फिर से सुनवाई करेंगे। इस बीच, एक अंतरिम उपाय के रूप में डिप्टी स्पीकर द्वारा याचिकाकर्ताओं या इसी तरह के अन्य विधायकों को अपना लिखित अनुरोध प्रस्तुत करने के लिए आज शाम 5.30 बजे तक का जो समय दिया गया था, उसे 12 जुलाई शाम 5.30 बजे तक बढ़ाया जाता है।“
इससे पहले देश की शीर्ष कोर्ट ने अयोग्यता नोटिस को चुनौती देने वाली एकनाथ शिंदे और 15 अन्य असंतुष्ट विधायकों की याचिकाओं पर महाराष्ट्र के डिप्टी स्पीकर, शिवसेना के मुख्य सचेतक सुनील प्रभु और विधायक दल के नेता अनिल चौधरी और केंद्र समेत कई को नोटिस जारी किया।
याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने शिवसेना के बागी विधायक एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाले धड़े से पूछा कि वे अपने मामले को लेकर बॉम्बे हाईकोर्ट क्यों नहीं गए? इस पर शिंदे गुट ने जवाब दिया कि उनकी जिंदगी खतरे में हैं और माहौल इसके लायक नहीं है कि वे मुंबई में अपने मामले की पैरवी कर सकें। कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार से बागी विधायकों या उनके समर्थको की सुरक्षा सुनिश्चित करने को कहा है।
शिंदे और शिवसेना के विधायकों का बड़ा हिस्सा 22 जून से असम की राजधानी गुवाहाटी के एक होटल में डेरा डाले हुए है। शिंदे के नेतृत्व वाला विद्रोही समूह मांग कर रहा है कि शिवसेना को महा विकास आघाड़ी गठबंधन (एमवीए) से हट जाना चाहिए, लेकिन शिवसेना सुप्रीमो और मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने उनकी बात मानने से इनकार कर दिया है। एमवीए में कांग्रेस और राकांपा भी शामिल हैं। जिसके बाद शिवसेना ने अपने असंतुष्टों के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी है।
महाराष्ट्र विधानसभा सचिवालय ने इन बागी विधायकों को अयोग्य ठहराये की मांग पर शनिवार को 16 बागी विधायकों को ‘समन’ जारी कर 27 जून की शाम तक लिखित जवाब मांगा था। हालांकि शिवसेना के दो-तिहाई से अधिक विधायकों के समर्थन का दावा करने वाले शिंदे गुट ने तर्क दिया है कि उनके खिलाफ एक्शन नहीं लिया जा सकता, क्योकि पार्टी के अधिकांश विधायक उनके साथ है और वें ही असली शिवसेना है।