Shiv Sena Bow and Arrow Symbols Hearing: सभी दस्तावेज़ उद्धव और शिंदे गुटों के वकीलों के माध्यम से कागजात पेश करने के आखिरी दिन यानी सोमवार को दायर किए गए। इससे पहले 20 जनवरी को प्रतिद्वंद्वी गुटों ने आयोग के समक्ष अपनी दलीलें पूरी कर ली थीं।
एकनाथ शिंदे और उद्धव ठाकरे
Maharashtra Politics: शिवसेना (Shiv Sena) का ‘धनुष्य-बाण’ (Bow And Arrow) चिह्न किसका है? इस सवाल का जवाब जल्द ही मिलने वाला है। शिवसेना के चुनाव चिह्न पर हक को लेकर चुनाव आयोग (Election Commission) में चल रही सुनवाई अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच गई है। चुनाव आयोग का फैसला अगले कुछ दिनों में आने की संभावना है।
कई दौर की सुनवाई के बाद शिवसेना के दोनों खेमों- उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray Faction) और एकनाथ शिंदे (Ekanth Shinde Faction) ने सोमवार को चुनाव आयोग में अपना अंतिम लिखित जवाब दाखिल किया। और अंतिम दस्तावेज़ प्रस्तुत किए। दोनों ही गुटों ने पार्टी संगठन और चुनाव चिह्न पर अपना-अपना दावा ठोका है।
कल हुई सुनवाई में दोनों खेमों की प्रतिक्रियाओं को चुनाव आयोग द्वारा अंतिम माना जा रहा है। दोनों गुटों के जवाब और दस्तावेजों के आधार पर चुनाव आयोग अगले कुछ दिनों में अपना फैसला सुना सकता है। एकनाथ शिंदे गुट ने जहां 124 पन्नों का जवाब दाखिल किया है, वहीं उद्धव ठाकरे खेमे की तरफ से 122 पन्नों की प्रतिक्रिया दी गई है।
सभी दस्तावेज़ उद्धव और शिंदे गुटों के वकीलों के माध्यम से कागजात पेश करने के आखिरी दिन यानी सोमवार को दायर किए गए। इससे पहले 20 जनवरी को प्रतिद्वंद्वी गुटों ने आयोग के समक्ष अपनी दलीलें पूरी कर ली थीं। दोनों पक्षों ने अपने दावे का समर्थन करने के लिए पिछले कुछ महीनों में आयोग को हजारों दस्तावेज जमा किए हैं और तीन मौकों पर आयोग के समक्ष अपने संबंधित मामलों पर बहस की है।
लोकसभा में शिवसेना (शिंदे गुट) के नेता राहुल शेवाले ने कहा कि हमें उम्मीद हैं कि इस मुद्दे पर निर्वाचन आयोग जल्द फैसला लेगा।” वहीँ, उद्धव खेमे के नेता भी अपने पक्ष में फैसला आने की का दावा कर रहे है।
बता दें कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने शिवसेना प्रमुख (UBT) उद्धव ठाकरे के नेतृत्व के खिलाफ पिछले साल जून में बगावत कर दी थी. उन्होंने दावा किया था कि उनके पास शिवसेना के 56 में से 40 विधायकों और उसके 18 लोकसभा सदस्यों में से 13 का समर्थन है। इस विद्रोह के बाद महाराष्ट्र में ठाकरे की अगुवाई वाली महाविकास आघाडी (MVA) सरकार गिर गई थी। फिर शिंदे ने बीजेपी के समर्थन से राज्य में सरकार बनाई और खुद मुख्यमंत्री बन गए।
इस सियासी उधल-पुथल के बीच शिंदे समूह ने शिवसेना पर दावा ठोका और खुद को असली शिवसेना बताते हुए चुनाव आयोग और देश की शीर्ष कोर्ट में क़ानूनी लड़ाई शुरू की। इस बीच, चुनाव आयोग ने मामला सुलझने तक दोनों गुटों को नया नाम और चुनाव चिन्ह आवंटित किया।