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वेस्टर्न रेलवे में रोजाना तीन जगह खराब होते हैं सिग्नल

locationमुंबईPublished: Nov 06, 2019 11:44:45 am

Submitted by:

Arun lal Yadav

सवाल: समय पर कैसे चलेंगी लंबी दूरी की एक्सप्रेस और लोकल गाडिय़ां, हर दिन औसतन 1.4 बार इंजन फेल होने की घटनाएं, आरटीआई से मिली जानकारी

वेस्टर्न रेलवे में रोजाना तीन जगह खराब होते हैं सिग्नल

वेस्टर्न रेलवे में रोजाना तीन जगह खराब होते हैं सिग्नल

पत्रिका न्यूज नेटवर्क
मुंबई. केंद्र सरकार भारतीय रेलवे की रफ्तार बढ़ाने पर जोर दे रही है। समय पर गाडिय़ां चलाने के आदेश भी दिए जाते रहे हैं। लेकिन बड़ा सवाल यही है कि लंबी दूरी की एक्सप्रेस ट्रेन और लोकल गाडिय़ां समय पर कैसे चलेंगी। इस बारे में अधिकारी कुछ भी दावे कर सकते हैं। लेकिन, परेशान करने वाला खुलासा यह हुआ है कि सामान्य रफ्तार पर भी ट्रेन सेवा समयबद्ध नहीं हो पाई है। कभी मौसम की वजह से तो कभी तकनीक के चलते गाडिय़ां लेट होती रहती हैं। बड़े-बड़े वादों और दावों के विपरीत आम यात्री आज भी समय पर गंतव्य तक नहीं पहुंच पा रहे।
वेस्टर्न रेलवे के मुंबई डिवीजन पर कई उपनगरीय और लंबी दूरी की ट्रेनों की समयबद्धता में कमी के लिए सिग्नल और इंजन की विफलता एक प्रमुख कारक है। यदि वित्त वर्ष 2018-19 के आंकड़ों पर ध्यान दिया जाए, तो रोजाना तीन बार सिग्नल से जुड़ी समस्या आई। हर दिन 1.4 बार इंजन फेल होने की घटनाएं हुईं। रेलवे कार्यकर्ता समीर झवेरी ने एक जनवरी 2016 से सिग्नल, इंजन और ट्रैक फ्रैक्चर से संबंधित जानकारी मांगी थी।

सिग्नल से जुड़ी समस्या
झवेरी ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2016-17 में सिग्नल विफलताओं की संख्या 1541 थी, जो पिछले साले के मुकाबले कम थी। लेकिन, वित्त वर्ष 2018-19 में यह फिर से 12 प्रतिशत बढ़ गया। उन्होंने कहा कि वर्तमान में हमारे पास उच्च दर्जे की प्रौद्योगिकी और रखरखाव सुविधा है। बावजूद इसके इंजन फेल होने और ट्रैक फ्रैक्चर जैसी घटनाएं रोकने में हम विफल हुए हैं।

बार-बार बिगड़ते हैं इंजन
उन्होंने बताया कि सफर के दौरान इंजन बिगडऩे की घटनाएं भी बढ़ गई हंै। इसका मतलब है कि इंजन के रखरखाव और मरम्मत पर बराबर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। पिछले वित्तीय साल (2018-19) के दौरान 2016-17 के मुकाबले 60 प्रतिशत इंजन ज्यादा फेल हुए। 2016-17 के दौरान 512 बार लोकोमोटिव से जुड़ी विफलताएं सामने आई थीं।

बीच रास्ते इंजन खराब होने पर होती है ज्यादा परेशानी
झवेरी ने बताया कि रनिंग लाइन पर इंजन फेल होने से यात्रियों को ज्यादा परेशानी होती है। इससे न केवल प्रभावित ट्रेन के यात्री फंसे रहते हैं बल्कि उसके पीछे आ रहीं ट्रेनों के यात्री भी जगह-जगह इंतजार के लिए मजबूर हो जाते हैं। कई बार मार्ग को क्लीयर करने के लिए ट्रेन दूसरी लाइन से गंतव्य के लिए रवाना की जाती हैं।

मरम्मत पर ध्यान नहीं
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इंजन फेल होने का मुख्य कारण इंजन की सही मरम्मत न होना होता है। इंजन फेल होने के बाद अगर उसकी मरम्मत करने वालों की जवाबदेही तय की जाए तो इसमें कमी आएगी। आंकड़े बताते हैं कि ट्रेन इंजन के मरम्मत पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है।

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