mumbai: …तो महीने भर में निकाल लेंगे कोरोना का तोड़
मुंबईPublished: Apr 03, 2020 10:49:41 pm
कोरोना की दवाई-वैक्सीन बनाने में जुटे वैज्ञानिकदेश की 65 लैब्स में चल रहा अनुसंधानएनआईवी की वैज्ञानिक प्रिया अब्राहम का दावा
mumbai: …तो महीने भर में निकाल लेंगे कोरोना का तोड़
ओमसिंह राजपुरोहित
पुणे. कोरोना वायरस स्ट्रेन को आइसोलेट करने के बाद दुनिया भर के वैज्ञानिक इस महामारी की दवाई और वैक्सीन बनाने के लिए दिन-रात मेहनत कर रहे हैं। भारत भी इस मामले में पीछे नहीं है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआईवी) और इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के वैज्ञानिकों की टीम कोरोना का इलाज ढूंढूने में लगी है। वैज्ञानिकों का दावा है कि सब कुछ ठीक रहा तो महीने भर में हम कोरोना का तोड़ हासिल कर लेंगे। फिलहाल मानव शरीर के बाहर वायरस पर परीक्षण चल रहा है। इसके नतीजे के आधार पर वैज्ञानिक आगे बढ़ेंगे। आईसीएमआर की वैज्ञानिक प्रिया अब्राहम ने बताया कि हम कोरोना के इलाज के लिए कारगर दवा बनाने की दिशा में रिसर्च कर रहे हैं। इससे हमें कोरोना रोधी वैक्सीन बनाने में मदद मिलेगी। वायरस का स्ट्रेन अलग होने के बाद इंसानी शरीर पर इसकी दवाई के परीक्षण का रास्ता खुल गया है। जयपुर और आगरा के संक्रमित मरीजों में स्ट्रेन को आइसोलेट करने के बाद उसका वुहान के स्ट्रेन से मिलान किया गया है। भारतीय मरीजों में मिला स्ट्रेन वुहान जैसा ही है। दोनों में 99.98 फीसदी समानता है।
…तो 30 दिन में काबू होगा कोरोना
आईसीएमआर के मुताबिक कोरोना वायरस आसानी से आइसोलशन में नहीं आता। दवा के परीक्षण के लिए वायरस के स्ट्रेन की दरकार होती है। संस्था के महानिदेशक डॉ. बलराम भार्गव ने कहा कि फिलहाल लोगों के सहयोग की जरूरत है। यदि सब कुछ नियंत्रण में रहा तो 30 दिन के भीतर हम कोरोना वायरस पर काबू पा लेंगे।
जल्द तैयार होगी वैक्सीन
डॉ. भार्गव ने बताया कि वैज्ञानिक कोरोना वायरस का पूरा सैंपल मानव शरीर के बाहर रखने में सफल हो चुके हैं। शरीर के बाहर उस पर परीक्षण कर दवाई और वैक्सीन बनाने में आसानी होगी। उम्मीद है कि कोरोना रोधी वैक्सीन जल्द तैयार होगी। कोरोना की जांच देश भर की 65 लैब्स में हो रही है। एक प्रयोगशाला की जांच क्षमता 90 नमूनों की है। अब तक 5 हजार 900 लोगों के 6 हजार 500 नमूनों की जांच हो चुकी है।
बचाव का पहला चरण
अब्राहम ने कहा कि कोरोना वायरस को अलग कर भारत ने महामारी से बचाव का पहला चरण पार कर लिया है। किसी भी महामारी को रोकने के लिए उसके वायरस की पहचान बेहद जरूरी होता है। भारत दुनिया का पांचवा देश है, जिसे यह सफलता मिली है। वायरस के स्ट्रेन के आधार पर वैक्सीन और ट्रीटमेंट पर काम किया जाता है।
अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया में भी दावा
अमेरिका की पिट्सबर्ग यूनिवर्सिटी की स्कूल ऑफ मेडिसिन के वैज्ञानिकों ने कोविड-19 रोधी वैक्सीन बनाने का दावा किया है। उनका दावा है कि वैक्सीन में ऐसी एंटीबॉडीज हैं, जो दो हफ्ते के भीतर कोरोना वायरस को बेअसर करने में सक्षम हैं। चूहों पर सफल परीक्षण के बाद मानवीय परीक्षण की अनुमति मांगी गई है। ऑस्ट्रेलिया के वैज्ञानिकों ने भी कोविड-19 रोधी वैक्सीन बनाने का दावा किया है। ऑस्ट्रेलिया में नेवला प्रजाति के फेरेट्स जानवरों पर वैक्सीन का इस्तेमाल किया गया है। वैज्ञानिकों का दावा है कि हमें सकारात्मक नतीजे मिले हैं।