विदित हो कि महामार्ग का निर्माण किया जा रहा है। कार्य पूरा होने के बाद यह विशेष रूप से ध्यान दिया जाएगा कि महामार्ग पर तेज वाहनों के सामने वन्य जीव न आए और वन्य क्षेत्र में महामार्ग पर वाहनों के सामने कोई अवरोध भी नहीं आए। इसके लिए देहरादून स्थित वल्र्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के मार्गदर्शन में विशेष परिस्थितयोंका ध्यान में रखकर निर्माण कार्य किया जा रहा है।
महामार्ग की संरचनाओं में परिवर्तन… वन्य जीवों का कुछ क्षेत्रों से कुछ ज्यादा ही लगाव देखा गया है। इसलिए यदि उनके पसंदीदा क्षेत्रों में ज्यादा बदलाव कर सड़क का निर्माण होता है तो उनकी प्राकृतिक चाल पर असर होगा। इसका विपरीत असर वाहन चालकों पर होगा, वन्य जीव उनके बीच आकर अवरोध पैदा कर सकते हैं। इससे बचने के लिए एमएसआरडीसी ने भारतीय वन्यजीव संस्थान की मदद ली है। इस संगठन ने पूरे राजमार्ग का सर्वेक्षण करके वन्यजीव संरक्षण के उद्देश्य से वन्यजीव अंडरपास या ओवरपास (डब्ल्यूयूपी/ डब्ल्यूओपी) के निर्माण की एमएसआरडीसी से सिफारिश की है। इस संगठन ने डब्ल्यूयूपी एंड डब्ल्यूओपी चौड़ाई व लंबाई कितनी लंबी होनी चाहिए और यह कितना ऊंचा होना चाहिए, इसका उल्लेख किया है। महामार्ग की संरचनाओं में परिवर्तन किए गए हैं। इससे वन्य प्राणियों के परंपरागत रास्तों पर विशेष ध्यान दिया गया है।