आगामी 26 जनवरी से सभी स्कूलों में प्रार्थना के साथ छात्र संविधान के प्रस्तावना का करेंगे वाचन
मुंबईPublished: Jan 21, 2020 07:58:59 pm
राज्य सरकार ने जारी किया सख्त आदेश
वर्ष 2013 के निर्णय को महाविकास अघाड़ी सरकार के लिया लागू
आगामी 26 जनवरी से सभी स्कूलों में प्रार्थना के साथ छात्र संविधान के प्रस्तावना का करेंगे वाचन
पत्रिका न्यूज नेटवर्क
मुंबई . देश में एकता और अखंडता को लेकर पनपे अशांत माहौल को देखते हुए राज्य सरकार ने न्याय और समानता , स्वतंत्रता का पाठ पढ़ाने के लिए आगामी 26 जनवरी से सभी स्कूलों में प्रार्थना के समय संविधान की प्रस्तावना का वाचन अनिवार्य किया है . इस सन्दर्भ में निर्णय वर्ष 2013 में ही लिया जा चूका था इसे अब अमल में लाया जा रहा है . मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने तत्कालीन अघाड़ी सरकार के इस निणर्य को लागू करने का आदेश दिया है . 26 जनवरी 1950 को संविधान लागु किया गया था . नतीजन सरकार ने भी इसे उसी दिन से अमल में लाने का निर्णय लिया है .सभी छात्रों को प्रार्थना के समय संविधान के उदेश्य (प्रस्तावना ) को पढ़ाना होगा .राज्य में लोगों के बीच संविधान के प्रति सम्मान और उसे जानने , समझने के लिए यह निर्णय लिया है . लोगों को अपने अधिकार , क़ानून , स्वतंत्रता और समानता को लेकर जानकारी होगी . आये दिन लोगों में बढ़ रहे सामाजिक द्वेष , इर्ष्य और तनाव को देखते हुए यह जरुरी हो गया था ऐसा शिवसेना के नेताओं का कहना है .
संविधान डर बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर कि अध्यक्षता में गठित समिति ने संविधान की रचना की है. 26 नवम्बर 1949 को इसे भारत सरकार को समिति ने सुपुर्द किया . और 26 जनवरी1950 को देश में संविधान लागू किया गया . जिसके आधार पर देश न्याय -समानता के नियम के साथ विकास की दिशा में आगे निकल पड़ा . अब एक बार फिर लोगों में संविधान के महत्त्व को बताने और उसके उद्देश्य को जनाने के लिए सरकार का यह निर्णय है .
महाराष्ट्र पहला राज्य होगा
संविधान के प्रस्तावना के वाचन छात्रों के लिए अनिवार्य करने वाला महाराष्ट्र पहला राज्य है . महाराष्ट्र के आलावा शायद ही कोई राज्य हो जहाँ इस प्रकार छात्रों को संविधान के प्रस्तावना को पढ़ाया जाता है . महाराष्ट्र ने इस निर्णय से देश के अन्य राज्यों को भी संविधान के प्रति छात्रों में जानकारी देने कि नई प्रेरणा दी है .
राजनीतिक लाभ राज्य में शिवसेना नीत वाली कांग्रेस -एनसीपी की सरकार को इस निर्णय से राजनीतिक तौर पर काफी लाभ होने की संभावना है . इन तीनो दलों से खिसक रहे दलित वोट बैंक को रोकने के लिए यह इलाज कारगर साबित हो सकता है . कांग्रेस ,भाजपा और अन्य दलों पर संविधान के साथ छेड़ -छाड़ के आरोप को लेकर बड़े पैमाने पर आन्दोलन हुआ है . जिससे दलित वोट बैंक इन दलों से खिसक कर तीसरी अघाड़ी की तरफ चला गया है . अब वह वापस हो सकता है .