scriptShinde vs Thackeray: उद्धव ठाकरे को बड़ा झटका, नहीं रुकेगी चुनाव आयोग की कार्रवाई, संविधान पीठ ने खारिज की याचिका | Supreme Court Hearing over Real Shiv Sena Uddhav Thackeray vs Eknath Shinde verdict Updates | Patrika News

Shinde vs Thackeray: उद्धव ठाकरे को बड़ा झटका, नहीं रुकेगी चुनाव आयोग की कार्रवाई, संविधान पीठ ने खारिज की याचिका

locationमुंबईPublished: Sep 27, 2022 05:10:54 pm

Submitted by:

Dinesh Dubey

Maharashtra Politics Shiv Sena Crisis: उद्धव ठाकरे गुट ने सुप्रीम कोर्ट में दायर अपनी याचिका में मांग की थी कि चुनाव आयोग को शिंदे समूह के ‘असली’ शिवसेना के रूप में मान्यता देने के दावे पर कोई कार्रवाई नहीं करनी चाहिए।

Eknath Shinde Vs Uddhav Thackeray

महाराष्ट्र के सत्ता संघर्ष पर आज आएगा ‘सुप्रीम’ फैसला

Shiv Sena Thackeray vs Shinde Supreme Court: महाराष्ट्र में सत्ता संघर्ष को लेकर दायर याचिकाओं पर आज (27 सितंबर) सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने सुनवाई की। सभी पक्षों की दिनभर दलीलें सुनने के बाद पीठ ने उद्धव खेमे की याचिका ख़ारिज कर दी। सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने चुनाव आयोग को एकनाथ शिंदे समूह के ‘असली’ शिवसेना होने के दावे पर फैसला करने से रोकने से इनकार कर दिया है।
इस मामले पर न सिर्फ महाराष्ट्र बल्कि पूरे देश का ध्यान था। सुबह से ही कयास लगाये जा रहे थे कि सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संविधान पीठ आज अहम फैसला सुनाएगी। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पहला आदेश देते हुए उद्धव ठाकरे-एकनाथ शिंदे खेमे को शिवसेना के चुनाव चिन्ह धनुष-बाण को लेकर अपनी-अपनी बात रखने को कहा था। जिसके बाद दोनों पक्षों के वकीलों ने धनुष-बाण को लेकर कई दलीले पेश की। फिर गवर्नर और चुनाव आयोग के वकीलों ने अपनी दलीलें पेश की।
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बहस के दौरान उद्धव गुट का पक्ष रखते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने शीर्ष कोर्ट में कहा कि महाराष्ट्र की तरह ही देश में कही भी कोई भी सरकार गिराई जा सकती है। उनका (शिंदे गुट) अपना स्पीकर है जो अयोग्यता पर फैसला नहीं करेगा।
शिवसेना के शिंदे खेमे का पक्ष रखते हुए कौल ने कहा “हम पार्टी के भीतर एक बड़ी संख्या का प्रतिनिधित्व करते हैं। हमने कभी नहीं कहा कि हम पार्टी की सदस्यता छोड़ देते हैं। यह स्पीकर द्वारा तय किया जाना है या दूसरा गुट (उद्धव ठाकरे) तय करेगा कि क्या यह स्वेच्छा से सदस्यता छोड़ना था।“
इस दौरान उन्होंने यूपी में बसपा सरकार के मामले का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा “तब विधानसभा भंग करने का निर्णय लिया गया। कोर्ट ने तब यह भी कहा था कि स्पीकर राजनीतिक पहलू की जांच नहीं कर सकते है।“
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चुनाव आयोग का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद दातार ने पीठ से कहा, ईसीआई (ECI) का कामकाज पूरी तरह से अलग है और 10वीं अनुसूची के तहत स्पीकर की भूमिका से स्वतंत्र है। संसद ने संविधान के तहत अयोग्यता के बीच अंतर तय किया है। जनप्रतिनिधित्व अधिनियम में अयोग्यता चुनाव आयोग की सिफारिश के आधार पर है और यह दसवीं अनुसूची के अधीन नहीं है।
शिवसेना की याचिका पर चुनाव आयोग का पक्ष रखते हुए दातार ने कहा, यदि राजनीतिक दल एक बड़ा समूह है, तो विधायक दल राजनीतिक दल के सदस्यों का सबसेट होता है जो निर्वाचित होते हैं और सदन का हिस्सा बनते हैं। आपके पास बिना विधायक दल के राजनीतिक दल हो सकते हैं, क्योंकि सभी राजनीतिक दलों के पास विधायक और सांसद नहीं होते हैं।
उन्होंने कहा, “चुनाव आयोग यह तय करने के लिए स्वतंत्र है कि वह बहुमत का परीक्षण कैसे करता है। चुनाव आयोग को शिकायत मिलती है, फिर सबमिशन होता है, फिर सबूत, हलफनामा और फिर इन्क्वारी किया जाता है।“ उन्होंने कोर्ट को बताया कि चुनाव आयोग ने दोनों गुटों को नोटिस भेजा था, जिसका सदन की सदस्यता से कोई लेना-देना नहीं है।
गौरतलब हो कि बीते महीने सुप्रीम कोर्ट ने शिवसेना और उसके बागी विधायकों द्वारा दायर याचिकाओं को संविधान पीठ के पास भेज दिया था। ये याचिकाएं पार्टी में विभाजन, विलय, दलबदल और अयोग्यता जैसे संवैधानिक मुद्दों से संबंधित हैं। देश की शीर्ष कोर्ट ने कहा था कि इन याचिकाओं में महत्वपूर्ण संवैधानिक मुद्दे शामिल हैं।
उद्धव ठाकरे गुट का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने शीर्ष अदालत से शिंदे के दावे पर फैसला लेने से चुनाव आयोग को रोकने की मांग की। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने 4 अगस्त को उद्धव ठाकरे को राहत देते हुए चुनाव आयोग से कहा था कि वह एकनाथ शिंदे गुट के उस आवेदन पर फैसला नहीं दे, जिसमें उसे असली शिवसेना के रूप में मान्यता देने की मांग की गई है।
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