मुंबई

फलों की कमी होगी दूर, राजा हापुस आम अब मैदान में

रमजान में रसदान फलों की आवक कम, पर फलमंडी में हापुस की रोज एक लाख पेटी आवक

मुंबईMay 08, 2019 / 05:29 pm

Devkumar Singodiya

राजा हापुस आम अब मैदान में

नवी मुंबई. महाराष्ट्र के अन्य भागों से वाशी स्थित एपीएमसी मार्केट में आने वाले पपीता, कलिंगड, अनार, अनानास और तरबूज जैसे फलों की आवक रमजान महीने में कम होने से कीमत में थोड़ी उछाल आ गई है। मंगलवार से शुरू रमजान में रोजा खोलने के लिए लगने वाले रसदार फलों के कीमत में वृद्धि के आसार दिखाई देने लगा है। लेकिन इस कमी को पूरा करने के लिए हापुस की आवक काफी बढ़ गई है। हालांकि पिछले साल की तुलना में इस वर्ष हापुस की आवक कम है, परंतु वर्तमान में हापुस की आवक बढऩे से कीमत में थोड़ी गिरावट दर्ज की गई है। अच्छे क्वालिटी का हापुस 900 से एक हजार रुपए प्रति दर्जन के भाव से उपलब्ध है, जबकि फलमंडी में हापुस 300 रुपए से लेकर 1000 रुपए दर्जन के भाव से बेचा जा रहा है।
एपीएमसी फ्रूट मार्केट के व्यापारी बालासाहेब बेंडे ने बताया कि इस समय हापुस की आवक भरपूर हो रही है, अब सामान्य लोग भी हापुस का भरपूर स्वाद ले सकते हैं, यह दीगर बात है कि पिछले साल की अपेक्षा इस वर्ष हापुस की आवक कम है, लेकिन एक लाख पेटी रत्नागिरी एवं देवगढ़ के हापुस की आवक हो रही है। रमजान महीने में रसीले फलों की आवक जरूर कम हुई है, इसकी वजह पानी की कमी बताया जा रहा है। रत्नागिरी और देवगढ़ के हापुस में फर्क इतना ही है कि देवगढ़ का हापुस अगर 15 दिन पहले तैयार होता है तो रत्नागिरी का आम 15 दिन बाद तैयार होता है, और यह सब आम के वृक्षों पर निर्भर रहता है। वर्तमान में हापुस की आवक 70 प्रतिशत महाराष्ट्र के कोकण क्षेत्र से हो रहा है तो 30 फीसदी कर्नाटक से, इस तरह से कुल एक लाख पेटी हापुस की आवक हो रही है।

पानी से कमी से फल बाजार पर असर
शाम को रोजा छोड़ते समय पपीता, खरबूजा, अनार, कलिंगड, अनानास और तरबूज जैसे पानी वाले फलों की मांग बढ़ जाती है। परंतु आवक कम होने से कीमत में भी उछाल आ गई है। पश्चिम व उत्तरी महाराष्ट्र के कुछ किसान रमजान के महीने में इन फलों को बाजार में भेजने का प्रयास कर रहे हैं, चूंकि इन फलों के अच्छे भाव मिलने की उन्हें उम्मीद है। लेकिन इस वर्ष पानी की किल्लत के कारण इन फलों पर खराब प्रभाव पडऩे से उत्पादन में आई कमी की वजह से रमजान के दौरान मंडी में ज्यादा मात्रा में रसदार फल नही पहुंच पा रहा है। हालाकि हापुस आम से इसकी कमी पूरी हुई है।

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