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छात्रों की फीस के लिए प्रिंसिपल ने लिया क्राउडफंडिंग का सहारा, एक करोड़ से ज्यादा मिला दान

locationमुंबईPublished: May 13, 2022 06:54:14 pm

सराहनीय: कोरोना काल में बेरोजगारी और वेतन कटौती की पीड़ास्कूल प्रबंधन और टीचर्स ने भी की मदद

छात्रों की फीस के लिए प्रिंसिपल ने लिया क्राउडफंडिंग का सहारा, एक करोड़ से ज्यादा मिला दान

छात्रों की फीस के लिए प्रिंसिपल ने लिया क्राउडफंडिंग का सहारा, एक करोड़ से ज्यादा मिला दान

मुंबई. कोरोना काल corona period में नौकरी छूटने या वेतन कटौती Salary के चलते कई माता-पिता अपने बच्चों की स्कूल फीस तक नहीं जमा कर पा रहे थे। फीस नहीं जमा करने पर छात्रों को स्कूल से निकालने के बजाय मुंबई Mumbai के पवई इंग्लिश स्कूल की प्रिंसिपल शर्ली पिल्लै ने सराहनीय पहल की। बच्चों की पढ़ाई जारी रखते हुए उन्होंने फीस school fees की रकम जुटाने के लिए क्राउड फंडिंग crowd funding का सहारा लिया। स्कूल प्रबंधन school management और टीचर्स का भी उन्हें साथ मिला। देश ही नहीं दुनिया कई देशों के लोगों ने दिल खोल कर दान दिया। अब तक एक करोड़ रुपए one crore rupees से ज्यादा का दान मिल चुका है। 95 प्रतिशत छात्रों की बकाया फीस वे इस राशि से जमा कर चुकी हैं। पिल्लै ने बताया कि कई लोगों ने बच्चों का भविष्य संवारने के लिए आगे भी मदद का भरोसा दिया है। नेक मुहिम के लिए अभिभावक पिल्लै की सराहना करते नहीं थक रहे।

स्वेच्छा से मदद
पिल्लै ने कहा कि फीस नहीं जमा कर पाना माता-पिता की मजबूरी थी। हम चाहते थे कि बकाया फीस के चलते छात्रों की पढ़ाई न रुके। हमने स्कूल प्रबंधन के साथ चर्चा की। राज्य सरकार State government ने 15 प्रतिशत फीस माफ करने के लिए कहा था। स्कूल प्रबंधन ने 25 प्रतिशत फीस माफ कर दी। मेरे दिमाग में क्राउड फंडिंग का आयडिया आया। हैरानी यह कि हमें उम्मीद से ज्यादा समर्थन मिला। लोगों ने दिल खोल कर दान किया। कुछ एनजीओ ने भी मदद की।

थोड़ा तो जमा करो
स्कूल प्रिंसिपल school principal ने बताया कि सबसे पहले हमने जरूरतमंद छात्रों की पहचान की। अध्यापकों ने इसमें अहम भूमिका निभाई। बकाया फीस वाले छात्रों को माता-पिता से बात की। उन्होंने मजबूरी बताई। हमने कहा-थोड़ा आप जमा करें, बाकी हम पर छोड़ दें। स्कूल ने तीन साल से फीस नहीं बढ़ाई है। शैक्षणिक सत्र 2022-23 में भी फीस नहीं बढ़ेगी।

आसान हुई मुश्किल
पिल्लै ने कहा कि पहले हमें लगता था कि यह काम आसान नहीं है। होनहार बच्चों की फीस चुकाने के लिए दानदाता तैयार थे। हम कमजोर छात्रों को नहीं छोड़ सकते थे। हमने विस्तार से समझाया। दानदाता donor समझ गए। शुरुआत में जो काम मुश्किल लग रहा था, वह अब आसान हो गया है।

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