स्वेच्छा से मदद
पिल्लै ने कहा कि फीस नहीं जमा कर पाना माता-पिता की मजबूरी थी। हम चाहते थे कि बकाया फीस के चलते छात्रों की पढ़ाई न रुके। हमने स्कूल प्रबंधन के साथ चर्चा की। राज्य सरकार State government ने 15 प्रतिशत फीस माफ करने के लिए कहा था। स्कूल प्रबंधन ने 25 प्रतिशत फीस माफ कर दी। मेरे दिमाग में क्राउड फंडिंग का आयडिया आया। हैरानी यह कि हमें उम्मीद से ज्यादा समर्थन मिला। लोगों ने दिल खोल कर दान किया। कुछ एनजीओ ने भी मदद की।
थोड़ा तो जमा करो
स्कूल प्रिंसिपल school principal ने बताया कि सबसे पहले हमने जरूरतमंद छात्रों की पहचान की। अध्यापकों ने इसमें अहम भूमिका निभाई। बकाया फीस वाले छात्रों को माता-पिता से बात की। उन्होंने मजबूरी बताई। हमने कहा-थोड़ा आप जमा करें, बाकी हम पर छोड़ दें। स्कूल ने तीन साल से फीस नहीं बढ़ाई है। शैक्षणिक सत्र 2022-23 में भी फीस नहीं बढ़ेगी।
आसान हुई मुश्किल
पिल्लै ने कहा कि पहले हमें लगता था कि यह काम आसान नहीं है। होनहार बच्चों की फीस चुकाने के लिए दानदाता तैयार थे। हम कमजोर छात्रों को नहीं छोड़ सकते थे। हमने विस्तार से समझाया। दानदाता donor समझ गए। शुरुआत में जो काम मुश्किल लग रहा था, वह अब आसान हो गया है।