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राज्यों की अमीरी ने किया बच्चों को कुपोषित

locationमुंबईPublished: Oct 02, 2021 12:46:43 am

आर्थिक मोर्चे पर पिछड़े बिहार और बंगाल ने गुजरात

बिहार और बंगाल जैसे राज्यों के बच्चे रूखा- सूखा खाकर भी मस्त

बिहार और बंगाल जैसे राज्यों के बच्चे रूखा- सूखा खाकर भी मस्त

अरुण कुमार@नई दिल्ली/मुंबई. गरीब राज्यों की अपेक्षा अमीर राज्यों के बच्चे ज्यादा कुपोषित हैं। बंगाल और बिहार के बच्चे गुजरात, केरल, महाराष्ट्र और तेलंगाना के बच्चों की अपेक्षा कम कुपोषित हैं। कोरोना, पैकेज्ड और फास्ट फूड के अलावा ऑनलाइन क्लास ने शहरी बच्चों का मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य ज्यादा प्रभावित किया है। फैमिली हेल्थ सर्वे-5 के अनुसार बिहार की प्रति व्यक्ति आय 40,982 रुपए तो बंगाल की प्रति व्यक्ति आय 67,300 रुपए थी जबकि गुजरात की प्रति व्यक्ति आय बिहार से करीब पांच गुना ज्यादा और बंाल से करीब तीन गुने से ज्यादा 1,95,845 रुपए थी। आर्थिक मोर्चे पर बिहार और बंगाल का गुजरात से कोई मुकाबला नहीं लेकिन बच्चों के कुपोषण और महिलाओं की स्थिति में गुजरात भी बिहार और बंगाल के साथ ही खड़ा दिखता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन और लांसेट के मुताबिक भारत का हर तीसरा बच्चा अविकसित या छोटे कद का है। इसके अलावा भारत का हर चौथा बच्चा कुपोषण का शिकार है। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के अनुसार देश में 9.3 लाख से अधिक ‘गंभीर कुपोषितÓ बच्चों की पहचान की गई है।

पांच वर्ष से छोटे बच्चों में बढ़ा कुपोषण
देश में बच्चों (पांच वर्ष से कम आयु) का स्वास्थ्य चिंताजनक स्थिति में है। उम्र में सामान्य से कम लंबाई वाले बच्चों की संख्या बढ़ी है। बिहार में वर्ष 2015-16 यह संख्या 48.3 फीसदी थी जो वर्ष 2019-20 में घटकर लगभग 43 फीसदी रह गई है। गुजरात के 39 फीसदी बच्चों की लंबाई उम्र के हिसाब से कम है जो वर्ष 2015-16 में 38.5 फीसदी थी। वहीं, पश्चिम बंगाल में यह आंकड़ा 33.8 फीसदी पहुंच गया जबकि 2015-16 में हुए सर्वे में यह 32.5 फीसदी था।

उम्र के अनुसार बच्चों का कम वजन
उम्र के हिसाब से कम वजन वाले बच्चों के मामले में वर्ष 2015-16 में बिहार में 20.8 फीसदी बच्चों का वजन उम्र के हिसाब से कम था जबकि वर्ष 2019-20 में यह आंकड़ा 22.9 फीसदी पहुंच गया। पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र में स्थिति जस की तस है। वर्ष 2019-20 में तेलंगाना में ऐसे बच्चों की संख्या में सबसे ज्यादा 5.1 फीसदी बढ़ी है। हिमाचल में 4.5 और केरल में 3.7 फीसदी का इजाफा हुआ है।

नवजात बच्चों की मृत्यु दर में गिरावट
रिपोर्ट के अनुसार 15 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में नवजात बच्चों की मृत्यु दर (प्रति 1,000 जन्मों पर मौत) में कमी आई है। 18 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश ऐसे रहे जहां शिशु मृत्यु दर और पांच से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर में कमी आई। बिहार में 2015-16 में जहां 36.7 फीसदी थी वहीं, 2019-20 में यह 34.9 फीसदी हो गई। बंगाल में पहले यह 22 फीसदी थी जो बाद में 15.5 फीसदी हो गई। बिहार और बंगाल की अपेक्षा गुजरात में 2015-16 में जहां यह 26.8 फीसदी थी वहीं, 2019-20 में 21.8 फीसदी दर्ज की गई।

बंगाल में गुजरात से कम शिशु मृत्यु दर
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के मुताबिक गुजरात में शिशु मृत्यु दर 31.2 और बंगाल में 22 है। इसी तरह जन्म के पांच साल के भीतर मरने वाले बच्चों के मामले में भी गुजरात अप्रत्याशित रूप से बंगाल से काफी आगे है। गुजरात में यह आंकड़ा 37.6 जबकि बंगाल में 25.4 है।

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