बीएमसी संचालित ज्यादातर स्कूल असुरक्षित पाए गए हैं।
आंकड़ों साफ पता चलता है कि छात्रों की सुरक्षा के मामले में प्रशासन गंभीर नहीं है। आने वाले समय में किसी स्कूल में आग लग गई तो छात्रों की जान खतरे में पड़ सकती है। सवाल उछया है कि फिर इसके लिए कौन जिम्मेदार होगा।
आंकड़ों साफ पता चलता है कि छात्रों की सुरक्षा के मामले में प्रशासन गंभीर नहीं है। आने वाले समय में किसी स्कूल में आग लग गई तो छात्रों की जान खतरे में पड़ सकती है। सवाल उछया है कि फिर इसके लिए कौन जिम्मेदार होगा।
इसका जवाब फिलहाल तो किसी के पास नहीं है।
सूरत हादसे के बाद बीएमसी के शिक्षा विभाग की ओर से एक बैठक बुलाई गई थी। स्कूलों में अग्निरोधी उपायों पर बैठक में चर्चा हुई। विचार-विमर्श का दौर लंबा चला, मगर कोई ठोस फैसला नहीं लिया गया।
दमकल विभाग की भी बैठक हुई है। दमकल ने अपने सभी केंद्रों से कहा है कि वे अपने इलाके के स्कूल, अस्पताल, कोचिंग क्लासेज, कमर्शियल बिल्डिंग और बड़ी सोसायटियों की जांच करें।
सूरत हादसे के बाद बीएमसी के शिक्षा विभाग की ओर से एक बैठक बुलाई गई थी। स्कूलों में अग्निरोधी उपायों पर बैठक में चर्चा हुई। विचार-विमर्श का दौर लंबा चला, मगर कोई ठोस फैसला नहीं लिया गया।
दमकल विभाग की भी बैठक हुई है। दमकल ने अपने सभी केंद्रों से कहा है कि वे अपने इलाके के स्कूल, अस्पताल, कोचिंग क्लासेज, कमर्शियल बिल्डिंग और बड़ी सोसायटियों की जांच करें।
मनपा के 1180 में से 450 स्कूलों का ऑडिट
महानगर में बीएमसी के 1180 स्कूल हैं, जिनमें से सिर्फ 450 स्कूलों का फायर ऑडिट दो साल पहले किया गया था। बाकी स्कूलों का ऑडिट नहीं किया गया है। कायदे से यह फायर ऑडिट का काम हर छह माह में होना चाहिए। महानगर में 1200 अनुदानित और गैर-अनुदानित स्कूल हैं। इनमें से सिर्फ 402 स्कूलों का फायर ऑडिट दो साल पहले किया गया था।
प्रिंसिपल और शिक्षकों को दी जाएगी ट्रेनिंग
शिक्षा समिति की अध्यक्ष अंजलि नाईक ने बताया कि हमने सूरत की घटना के बाद बीएमसी के शिक्षा अधिकारी, आपदा नियंत्रण विभाग, फायर ब्रिगेड सहित विभिन्न विभागों के अधिकारियों के साथ विचार-विमर्श किया है।
बैठक के बाद स्कूलों के फायर ऑडिट के संबंध में जरूरी कदम उठाने को कहा गया है।
बीएमसी स्कूल के सभी प्रिंसिपल को इमर्जेंसी हालात से निपटने का प्रशिक्षण देने, स्कूल के शिक्षकों को तीन दिन और 90 छात्रों को प्रतिदिन दो घंटे की ट्रेनिंग देने को कहा है। अब इस पर कब अमल होगा, किसी को पता नहीं है।
फायर ब्रिगेड केअधिकारियों से हर छह महीने में एक बार स्कूल की जांच कर सभी अग्निशमन साधन सामग्री और मशीनरी की जांच करने को कहा गया है।
फायर नियमों का पालन नहीं
नियम के अनुसार हर स्कूल में इमर्जेंसी रूट होना जरूरी है ताकि आगजनी या किसी दुर्घटना के समय बिना किसी परेशानी के छात्रों-शिक्षकों को बाहर निकाला जा सके। फायर फाइटिंग सिस्टम, 100 वर्ग मीटर में एक फायर मशीन, एक सैंड बकेट, केमिकल पदार्थों से बचाव के उपाय आदि कसौटी पर महानगर के अधिकांश स्कूल फेल साबित हुए हैं।
दमकल के निर्देश का पालन नहीं
फायर ऑडिट के बाद दमकल विभाग ने स्कूलों को आग से बचाव से संबंधित कुछ उपाय सुझाए थे। लेकिन, दमकल के निर्देशों पर अमल हुआ या नहीं, यह पता किसी ने नहीं लगाया। पत्रिका की पड़ताल में पता चला कि मनपा और अनुदानित ज्यादातर स्कूलों में आग से बचाव से के लिए कोई सुरक्षा इंतजाम नहीं है।