
Kothrud Assembly Constituency : महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की तारीख नजदीक आते ही राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं। जहां महाविकास अघाड़ी (एमवीए) सत्ता में आने के लिए हर संभव कोशिश कर रही है, वहीं महायुति भी सत्ता में बने रहने के लिए पुरजोर कोशिश कर रही है। इन सबके बीच बागी उम्मीदवारों ने दोनों गठबंधनों की टेंशन बढ़ा दी है। ऐसी ही स्थिती पुणे शहर के कोथरूड विधानसभा क्षेत्र की भी है।
महाराष्ट्र सरकार के मंत्री और वरिष्ठ बीजेपी नेता चंद्रकांत दादा पाटिल कोथरुड सीट से अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। लेकिन इस बार वह त्रिकोणीय मुकाबले में फंसते नजर आ रहे हैं। उन्हें उद्धव ठाकरे की शिवसेना (UBT) और राज ठाकरे की पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के उम्मीदवारों से कड़ी चुनौती मिल रही है। मनसे ने किशोर शिंदे को कोथरुड से फिर टिकट दिया है।
महाराष्ट्र के पुणे शहर में कोथरूड सबसे अधिक मांग वाले आवासीय क्षेत्रों में से एक है। साल 2014 से बीजेपी का गढ़ माना जाने वाला कोथरूड एक बाजार और ब्राह्मण-बहुल उपनगर है। जहां कुल 4,36,472 मतदाता है। ट्रैफिक और बुनियादी ढांचे से संबंधित मुद्दे स्थानीय लोगों की प्रमुख समस्याएं हैं।
साल 2014 से 2019 तक इस सीट का प्रतिनिधित्व बीजेपी की मेधा कुलकर्णी ने किया। वह अब राज्यसभा की सदस्य हैं। पिछले विधानसभा चुनाव 2019 में कोल्हापुर के रहने वाले चंद्रकांत पाटिल को यहां से टिकट दिया गया और कुलकर्णी को बाद में राज्यसभा भेजा गया। बीजेपी के इस चौंकाने वाले फैसले के बाद कोथरूड में 'बाहरी' उम्मीदवार के विरोध में पोस्टर भी लगाये गए थे। दिलचस्प बात यह है कि तब एनसीपी और कांग्रेस ने बीजेपी नेता के खिलाफ वोटो के विभाजन को रोकने के लिए किशोर शिंदे का समर्थन किया था।
हालांकि विपक्ष के मोर्चाबंदी के बावजूद बीजेपी की महाराष्ट्र इकाई के पूर्व अध्यक्ष चंद्रकात पाटिल ही कोथरूड से जीते। तब उन्होंने मनसे उम्मीदवार किशोर शिंदे के खिलाफ 25,000 से अधिक मतों के अंतर से जीत हासिल की थी।
हालांकि, इस बार के चुनाव में पाटिल को कठिन चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। उनका मुकाबला शिवसेना (यूबीटी) के उम्मीदवार चंद्रकांत मोकाटे से है जो 2009 से 2014 तक कोथरूड से शिवसेना (तब अविभाजित) विधायक रह चुके हैं। मोकाटे का कहना है कि वह ‘धरती पुत्र’ है और जनता उनका ही समर्थन करेगी।
उधर, मनसे ने कोथरूड से किशोर शिंदे को फिर से उम्मीदवारी दी है जिससे मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है। वकील और मनसे के महासचिव शिंदे ने दावा किया कि पाटिल पुणे के प्रभारी मंत्री होने के बावजूद कोथरूड में कुछ काम नहीं किया है। निर्वाचन क्षेत्र में बीजेपी नेता का काम निराशाजनक है। शिंदे ने कहा कि मोकाटे 2014 के बाद राजनीतिक रूप से निष्क्रिय हो गए। इसलिए उनकी जीत आसान हो गई है।
एनसीपी (अजित पवार) के एक नेता ने दावा किया कि कोथरूड में लोकसभा चुनाव में बढ़त का अंतर करीब 75,000 था, यहां माहौल महायुति के पक्ष में है।
वहीँ, बीजेपी उम्मीदवार चंद्रकांत पाटिल ने कोथरूड के लोगों के साथ अपने व्यक्तिगत संबंध होने की बात कही है और रिकॉर्ड अंतर से जीत को लेकर आश्वस्त हैं।
Published on:
08 Nov 2024 08:00 pm
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