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मारवाड़ से दो ट्रेनें बदल कर मुंबई आते थे प्रवासी

locationमुंबईPublished: Mar 18, 2019 06:53:19 pm

Submitted by:

Devkumar Singodiya

राजस्थान मीटरगेज प्रवासी संघ : प्रवासियों की रेल सुविधा के लिए संघ के संघर्ष का 40 साल

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Two trains changed from Marwar to Mumbai;

मुंबई. राजस्थान मीटरगेज प्रवासी संघ के पिछले 40 साल के संघर्ष का परिणाम है कि राजस्थान के मारवाड़ और मुंबई के बीच की दूरी खत्म हो गई। नहीं तो एक वो भी था जब मारवाड़ से मुंबई आने में 18 से 20 घंटे और कभी कभी तो पूरे 24 घंटे लग जाते थे। मुंबई से मारवाड़ के सफर में तब दो रिजर्वेशन लेने पड़ते थे। एक मुंबई से अहमदाबाद का तो दूसरा अहमदाबाद से मारवाड़ के स्टेशनों का। अहमदाबाद में मीटरगेज रेल लाइन से उतर कर आगे मुंबई के लिए ब्राडगेज लाइन की अगली ट्रेन का घंटों इंतजार करना पड़ता था।

सफर तब आसान नहीं था
लोग खिड़की से ट्रेन में घुसते थे और कोई गलियारे में तो कोई टॉयलेट में बैठकर सफर करके मुंबई पहुंचता था। ऊपर से अहमदाबाद स्टेशन पर घंटों इंतजार, सामान की चोरी, कुलियों की लूट, ट्रेन में चढ़ते वक्त असामाजिक तत्वों से बकझक, मारपीट और बहन-बेटियों से बदसलूकी बहुत आम हुआ करती थी। मगर अब मारवाड़ के लिए सीधी ट्रेन होने के बाद यह सारी बातें सिर्फ किस्से कहानियों का हिस्सा हैं। राजस्थान व मुंबई के बीच दिख रहे रेल विकास में राजस्थान मीटरगेज प्रवासी संघ का महत्वपूर्ण योगदान है। राजस्थान के करीब 2600 किलोमीटर से भी ज्यादा मीटरगेज रेलमार्ग को ब्राडगेज में परिवर्तित करवाने में महत्वपूर्ण श्रेय राजस्थान मीटरगेज प्रवासी संघ को जाता है। दिल्ली अहमदाबाद रेलमार्ग को डबल लाइन करवाने और राजस्थान से करीब 15 से भी ज्यादा नई रेलगाडयि़ां चलवाने के अलावा मुंबई से राजस्थान जाने वाली अनेक ट्रेनों में सीटों के आरक्षण का कोटा बढ़वाना जैसे कई महत्वपूर्ण कार्य इस संस्था के माध्यम से किया गया है।

लाठियां-गोलियां भी झेली, तब पूरी हुईं मांगें
प्रवासी राजस्थानियों की रेल यात्रा को सुखद बनाने के इस प्रयास में राजस्थान मीटरगेज प्रवासी संघ के लिए लक्ष्य आसान नहीं था और राह उससे भी ज्यादा मुश्किल थी। प्रवासी राजस्थानियों की रेल यात्रा को बेहतर बनाने के इस अभियान में प्रवासी संघ के पदाधिकारियों ने लाठियां भी खाईं और गोली भी झेली, परन्तु रेल यात्रा विकास की इस अभियान से जुड़े लोग डिगे नहीं। पांच जून 1979 को राजस्थान मीटरगेज प्रवासी संघ की स्थापना के बाद धरना, प्रदर्शन, आंदोलन और उनके साथ-साथ लगातार कोशिशों का परिणाम है कि राजस्थान में रेल विकास का काम लगातार तेज होता जा रहा। राजस्थान मीटर गेज प्रवासी संघ के संस्थापक विमल रांका ने अपने जीवन को रेल विकास के नाम कर दिया।
रांका कहते हैं पता ही नहीं चला, 40 साल कैसे बीत गए। आज तो खैर, मुंबई, पुणे, बैंगलोर, चेन्नई, त्रिवेंद्रम से ट्रेन में बैठे और बिना कहीं उतरे सीधे पहुंच गए अपने गांव। आज से सिर्फ 15 साल पहले तक यह यात्रा बहुत दुष्कर ही नहीं बल्कि एक डरावना सपना हुआ करती थी। प्रवासी संघ की मेहनत से शुरू हुई ब्राडगेज लाइन के बाद राजस्थान में उद्योग धंधे बहुत तेजी से विकसित हुए। प्रवासी संघ के सचिव निरंजन परिहार बताते हैं कि रेल विकास की वजह से वहां भी व्यापार उद्योग का विकास हुआ। अब लोग व्यापार के काम के लिए तो राजस्थान से मुंबई में आते हैं लेकिन अब यहां बसने बहुत कम लोग आते हैं। परिहार बताते हैं कि इस काम में सन 1980 में पहली बार केंद्र में मंत्री बने अशोक गहलोत का तब से लेकर अब तक पूरा साथ रहा है।

लम्बा संघर्ष
रेलमंत्री कमलापति त्रिपाठी, प्रकाश चंद सेठी, जॉर्ज फर्नांडिस, जनेश्वर मिश्र, एबीए गनी खान चौधरी, माधवराव सिंधिया, जाफर शरीफ, सुरेश कलमाड़ी, रामविलास पासवान, लालू यादव, नीतीश कुमार, राम नाईक, बंगारू लक्ष्मण, ममता बनर्जी, सुरेश प्रभु, पीयूष गोयल आदि अब तक के सभी रेलमंत्रियों और रेल अधिकारियों से लड़ भिड़कर यह सफलता पाई है। संस्था के उपाध्यक्ष सिद्धराज लोढ़ा बताते हैं कि आज मुंबई सहित देश भर में संस्था के कुल 1008 सक्रिय सदस्य हैं। जो अपने अपने क्षेत्र में रेल विकास के लिए प्रतिबद्ध हैं। प्रवासी संघ के सामने देश के सभी बड़े शहरों से ज्यादा ट्रेनें चलवाकर राजस्थान को जोडऩा सबसे बड़ा मुद्दा है।

सफलता की यात्रा जारी रहेगी
पिछले 40 साल से प्रवासी संघ समस्त राजस्थानी समाज और राजस्थान प्रदेश के रेल विकास के लिए प्रयासरत है। हम काफी कामयाब हुए हैं और सफलता की यह यात्रा आगे जारी रखेंगे। अन्य मुद्दे हैं, जिस पर काम हो रहा है।
सिद्धराज लोढ़ा, उपाध्यक्ष -राजस्थान मीटरगेज

मुख्यमंत्री का समर्थन मिलेगा
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत प्रदेश के रेल विकास में अहम सहयोगी रहे हैं। अब वे तीसरी बार मुख्यमंत्री बने हैं, तो रेल विकास के लिए राजस्थानियों की उम्मीदें भी बढ़ी है। हमें विश्वास है उनका पूरा समर्थन मिलेगा।
निरंजन परिहार, सचिव

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