राज्य सरकार और देशमुख के वकीलों की दलीलें सुनने के बाद जस्टिस कौल ने कहा- ‘आप पर आरोप ऐसे शख्स ने लगाया है, जो आपका राइट हैंड था। आरोप गंभीर हैं। इसमें गृह मंत्री और पुलिस आयुक्त शामिल हैं। दोनों एक साथ काम कर रहे थे। दोनों की निष्पक्ष जांच की जरूरत है।
‘एफआइआर आरोपी से पूछकर नहीं होती
सिब्बल ने कहा कि कानून सबके लिए बराबर है। बिना देशमुख की बात सुने कोई प्राथमिकी नहीं दर्ज की जा सकती। इस पर जस्टिस कौल ने कहा-आरोपी से पूछकर एफआइआर दर्ज नहीं की जाती। आरोप ऐसे व्यक्ति ने लगाया है, जिस पर उन्हें भरोसा था। ऐसा नहीं होता तो उन्हें पुलिस आयुक्त का पद नहीं मिलता।