scriptWater Wives: महाराष्ट्र के इस गांव में सिर्फ पानी लाने के लिए मर्द करते हैं कई शादियां, जानें ‘वाटर वाइफ्स’ के बारे में | Water Wives: In this village of Maharashtra, men do many marriages just to bring water, know about 'Water Wives' | Patrika News
मुंबई

Water Wives: महाराष्ट्र के इस गांव में सिर्फ पानी लाने के लिए मर्द करते हैं कई शादियां, जानें ‘वाटर वाइफ्स’ के बारे में

महाराष्ट्र के डेंगनमल गांव की एक अनोखी कहानी है। महाराष्ट्र एक ऐसा राज्य है जहां सूखा बहुत पड़ता है, लेकिन इस सूखे के कारण एक गांव में ‘पानी बाई’ की प्रथा भी चली आ रही है। इस गांव में लोग पानी लाने के लिए शादी करते है।

मुंबईAug 04, 2022 / 04:00 pm

Siddharth

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Water Wives

‘वाटर वाइफ्स’ ये शब्द सुनकर आपके दिमाग में क्या आता है? ये किसी नाटक का नाम लगता है, लेकिन भारत के एक गांव में ये सच्चाई है। महाराष्ट्र के एक गांव में जहां सिर्फ पानी भरने के लिए ही शादियां होती हैं। एक ही आदमी दो या तीन शादियां भी करता है जिससे उसके घर में पानी आ सके। भारत जगहें है जहां पर पानी की कमी बहुत होती है और महिलाओं को मीलों दूर चलकर पानी लाना पड़ता है। महाराष्ट्र के ठाणे जिले का एक गांव डेंगनमल में महिलाएं सिर्फ पानी लाने का काम करती हैं और अगर कोई एक महिला पानी लाने के काबिल नहीं रहती तो दूसरी शादी की जाती है।
ऐसे कई किस्से आपको वहां मिल जाएंगे। ActionAid India ने कुछ साल पहले एक शॉर्ट फिल्म बनाई गई थी जिसके बाद ये कहानी बहुत तेजी से वायरल हो गई और लोगों तक पहुंची। 5 मिनट के इस शॉर्ट फिल्म में बताया गया है कि वहां के लोगों के जीवन में कैसी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इस शॉर्ट फिल्म में ज्यादा डायलॉग नहीं है बल्कि ये सिर्फ एक्शन पर आधारित है।
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बता दें कि ये गांव मुंबई से सिर्फ 185 किलोमीटर दूर है। हालांकि, पिछले कुछ समय में सरकार ने यहां पानी को लेकर काफी कुछ किया गया है और थोड़े हालात भी सुधरे हैं, लेकिन फिर भी पानी एक बड़ी समस्या बना हुआ है। महाराष्ट्र के कई गांव पानी की कमी से परेशान हैं, लेकिन इस गांव की हाल कुछ ज्यादा खराब है। जैसा कि हमेशा होता है महिलाओं को घर के काम समेत कई जिम्मेदारियां दे दी जाती हैं और यही हाल यहां का भी है जहां महिलाओं को दूर-दराज के इलाकों से पानी लाना होता है।
मुंबई के इतने करीब होने के बाद भी यहां ज्यादा विकास नहीं हुआ है। इस गांव में पानी की किल्लत की वजह से घरों में वाटर पाइपलाइन नहीं है। पानी का एकमात्र स्थान यहां भत्सा डैम है जो एक नदी पर बना हुआ है। यहां एक कुआं भी है जो काफी दूर है। इस गांव में पानी लाने में कई घंटे लग जाते हैं और जब पानी लेकर आया जाता है तब तक दूसरी महिला घर के काम करती है।
इस गांव के अधिकतर पुरुष किसान हैं और यहां का जीवन भी साधारण है। इस गांव में गर्मी इतनी भीषण पड़ती हैं कि कुएं सूख जाते हैं और कई मवेशी मारे जाते हैं। साल 2015 में ओपन मैग्जीन द्वारा प्रकाशित एक आर्टिकल में इस टर्म को यूज किया गया था। उसी सोर्स के हिसाब से इस गांव के कुछ पुरुषों की 4 पत्नियां भी हैं जिसमें से सिर्फ एक ही लीगल है और बाकी तीन ‘पानी बाई’ होती हैं। गर्मियों में पानी लाने का काम काफी ज्यादा भारी होता है जब महिलाएं सुबह जल्दी खाली बर्तन लेकर निकल जाती हैं और नदी तक की यात्रा में खेत, पहाड़ी बीहड़ और जंगली पेड़ों के बीच से होते हुए नदी तक जाती हैं। महिलाओं को पानी लाने में शाम हो जाती है। हर महिला अपने सिर पर 15-15 लीटर के दो कनस्तर रखती है और रोजाना का यही रूटीन होता है।
आखिर क्यों की जाती है इस तरह की शादी: बता दें कि इसके पीछे समाज का नियम है जहां सिंगल महिलाओं को चाहें वो विधवा हो या फिर छोटी जाती की महिला जिसे समाज में इज्जत चाहिए होती है। इन महिलाओं के कोई लीगल अधिकार नहीं होते और न ही ये बच्चे पैदा कर सकती हैं। जब ये बूढ़ी हो जाती हैं या बीमार हो जाती हैं तो पति फिर से शादी करता है ताकि पानी लाने का ये नियम ऐसे ही चलता रहे।
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