कहा जा रहा है कि इस जीत से अब शिवसेना की मुश्किलें तेजी से बढ़ने वाली हैं। यहां तक कि उद्धव ठाकरे अगर शिंदे खेमे के साथ समझौता नहीं करते हैं तो उन्हें पार्टी से भी हाथ धोना पड़ सकता है। ऐसे में शिवसेना की मुश्किलें और बढ़ गई है।
महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के आदेश पर आज से दो दिन का विधानसभा विशेष सत्र बुलाया गया था। पहले ही दिन विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए चुनाव का एलान किया गया था। बीजेपी और शिवसेना के एकनाथ शिंदे खेमे ने कोलाबा से पहली बार विधायक चुने गए राहुल नार्वेकर को अपना उम्मीदवार बनाया। वहीं, शिवसेना ने राजन साल्वी को राहुल नार्वेकर के खिलाफ मैदान में उतारा।
विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए चुनाव शुरू होने से पहले ही विधानसभा स्थित शिवसेना के कार्यालय को सील कर दिया गया। कार्यालय पर नोटिस लगाया गया कि इसे शिवसेना विधायक दल के निर्देशानुसार सील किया जा रहा है। अब विधानसभा में एकनाथ शिंदे खेमा शिवसेना पर पूरी तरह से कब्जा करने में जुटी है। इस दौरान सीएम एकनाथ शिंदे ने व्हिप भी जारी किया, जिसमें कहा गया कि सभी विधायक बीजेपी के उम्मीदवार राहुल नार्वेकर को ही वोट डालें। यह व्हिप शिवसेना के विधायकों को भी दिया गया। इसके बाद राहुल नार्वेकर ने शानदार जीत दर्ज की और विधानसभा अध्यक्ष की कुर्सी पर बीजेपी ने कब्जा कर लिया।
जानें कैसे बढ़ेंगी शिवसेना की मुश्किलें? विधानसभा स्पीकर के चुनाव में पता चल गया कि बीजेपी और एकनाथ शिंदे के पास बहुमत है। राहुल नार्वेकर को 164 वोट मिले, जबकि विपक्ष के उम्मीदवार राजन साल्वी को महज 107 वोट ही मिले। इस जीत के साथ तस्वीर पूरी तरफ साफ हो गई कि विधानसभा में सोमवार को होने वाले फ्लोर टेस्ट में एकनाथ शिंदे को जीतने से कोई नहीं रोक सकता है। विधानसभा अध्यक्ष चुनाव से पता चल गया कि एकनाथ शिंदे के साथ शिवसेना के ज्यादातर विधायक हैं। ऐसे में आने वाले दिनों में शिवसेना के उद्धव ठाकरे गुट को टूटने का अनुमान ज्यादा है। शिवसेना के बागी विधायकों पर चल रही अयोग्यता की कार्रवाई भी विधानसभा अध्यक्ष खारिज कर सकते हैं।
बता दें कि शिवसेना के ज्यादातर विधायक और सांसद शिंदे खेमा के साथ हैं। अब विधानसभा अध्यक्ष भी बीजेपी का है। इस बीच उद्धव गुट कमजोर दिखने लगा है। ऐसे में आने वाले समय में ये भी संभव है कि शिंदे खेमा शिवसेना को पूरी तरह से अपने हाथों में ले लें।